Budget of Madhya Pradesh: महान विचारक चार्वाक का दर्शन है- यावज्जीवेत् सुखं जीवेत् ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत्...यानी जब तक ज़िंदगी है, तब तक सुख से जीयो. ये कितना सही और गलत है इस पर बहस हमेशा से जारी रही है लेकिन ऐसा लगता है कि मध्यप्रदेश सरकार इससे प्रभावित हो गई है. तभी तो मौजूदा सरकार 31 मार्च को समाप्त होने वाले इस वित्तीय वर्ष से पहले 25,000 करोड़ रुपये का नया कर्ज लेने जा रही है.जिसमें से 5 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेने की प्रक्रिया इस महीने ही शुरू होगी,जबकि बकाया अगले दो महीनों में चरणबद्ध तरीके से लिया जाएगा. हालांकि इसके पीछे सरकार के अपने तर्क हैं. उनका कहना है कि राज्य का वित्तीय प्रबंधन ठीक है और ये सामान्य अर्थशास्त्र है.
दरअसल मध्यप्रदेश की तिजोरी संभालने वाले वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा बजट से पहले इन दिनों लोगों की राय सुन रहे हैं. उनके सामने हर तबके की अपनी डिमांड है. इसलिए वे खुद कहते हैं कि आने वाला बजट बेहतर होगा और इसमें सभी वर्गों का ध्यान रखा जाएगा. उनका कहना है कि चिंता की कोई बात नहीं है. जो कर्ज लिया है उसके ब्याज का भुगतान हम नियमानुसार कर रहे हैं. वित्त मंत्री का कहना है कि सरकार नियमों के मुताबिक कर्ज ले रही है लिहाजा चिंता की कोई बात है ही नहीं. अब आगे बढ़ने से पहले ज्यादा मध्यप्रदेश के कर्ज का हिसाब-किताब भी जान लेते हैं.
ये आंकड़े बताते हैं कि पिछले 5 साल में राज्य पर कर्ज का बोझ सबसे तेजी से बढ़ा है और ये दोगुने से भी ज्यादा हो गया है. इस पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने तंज कसा है. कांग्रेस प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता का कहना है कि महेश्वर की कैबिनेट बैठक के समोसे इतने महंगे थे कि सरकार को कर्ज लेना पड़ गया. उन्होंने पूछा कि मुख्यमंत्री जी को बताना चाहिए कि कितनी पीढ़ियां ये कर्ज चुकाएगी. आखिर किस काम में इतना पैसा लग रहा है? कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि कल भोपाल में एक पुल का उद्घाटन किया गया जिसकी लागत को लेकर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं. सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए प्रदेश की जनता को सही आर्थिक स्थिति का पता चल सके.
वैसे सरकार के खर्चों में सबसे बड़ी हिस्सेदारी लाडली बहना योजना की है जिसके लिये हर महीने लगभग 1600 करोड़ खर्च हो रहे हैं. बाकी राज्य के विकास के विकास से जुड़े काम हैं. हालांकि इस बीच गौर करने वाली बात ये है कि राज्य सरकार ने 230 करोड़ रुपये से अधिक की कीमत का जेट विमान खरीदने का प्रस्ताव दिया है. इसके अलावा मंत्रियों के बंगलों के रंगरोगन पर 18 करोड़ और मंत्रियों के लिए 5 करोड़ रुपये की SUVs जैसे खर्च भी इसी दौरान हुए हैं. यहां गौरतलब ये भी है कि राज्य के हर शख्स पर फिलहाल 4375 रुपए का कर्ज बढ़ गया है. लेकिन सरकार का कहना है कि चिंता की कोई बात नहीं है. जो भी किया जा रहा है वो नियमानुसार ही है.