
Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश का उज्जैन स्थित संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल चरक भवन में किस तरह चल रहा है इसका नजारा गुरुवार को दिखाई दिया. हुआ यूं कि यहां हालत खराब होने पर एक नवजात शिशु को डॉक्टर ने रेफर किया तो उसे नीचे ले जाने के साधन नहीं थे तो एंबुलेंस में ऑक्सीजन ही नहीं थी. नतीजतन परिजन हाथों में सिलेंडर थामे नीचे उतरे और निजी एंबुलेंस से प्राइवेट अस्पताल पहुंचे.
ये है मामला
सांवेर निवासी हसीन बी की सोमवार को मायके नागदा के शासकीय अस्पताल में डिलीवरी हुई, लेकिन नवजात की हालत नाजुक होने पर डॉक्टर ने उसे चरक भवन अस्पताल में रेफर कर दिया. यहां तीन दिन शिशु एनआईसीयू में भर्ती था. इसी बीच गुरुवार को उसकी हालत ज्यादा बिगड़ने पर डॉक्टर ने तत्काल उसे अन्य बड़े अस्पताल में रेफर कर दिया.
लेकिन वार्ड बॉय और स्टेचर नहीं मिलने पर परिजनो को बच्चे को सिलेंडर लगाकर गोद में लाकर नीचे उतरना पड़ा. फिर उन्होंने ऑक्सीजन युक्त एंबुलेंस मांगी.
ड्राइवर बोला ऑक्सीजन नहीं
डॉक्टर ने अस्पताल परिसर स्थित रेडक्रास की एम्बुलेंस मिलना के स्थान पर भेज दिया. यहां एंबुलेंस तो मिली, लेकिन ड्राइवर ने बताया कि वाहन में ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म पड़ा है. मजबूरन परिजनों ने निजी एंबुलेंस बुलाकर नवजात को दूसरे अस्पताल शिफ्ट किया.
मेडिसिटी के हाल
सीएम डॉ मोहन यादव उज्जैन को मेडिसिटी बनाने की तैयारी कर रहे है. ऐसी स्थिति में संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में नवजात शिशु को लेकर भटकने का ऐसा शर्मनाक मामला सामने आना व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े करता है. हालांकि इस संबंध में सीएमएचओ अशोक पटेल ने इस संबंध में सफाई दी, लेकिन ऐसे में मरीजों का अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाना और उनके परिजनों का डरना वाजिब नजर आता है.
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