Makar Sankranti : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के महाकौशल और बुंदेलखंड अंचल में मकर संक्रांति को तिल संक्रांति भी कहा जाता है. इस तिल संक्रांति में तिल का बड़ा महत्व होता है. श्रद्धालु सुबह उठकर सबसे पहले तिल का पदार्थ ग्रहण करते हैं, उसके बाद तिल के उबटन से स्नान करते हैं. इसके बाद तिल के बने मोदक जिन्हें लड्डू भी कहा जाता है, का सेवन करते हैं. लोग इस दिन तिल की बने पदार्थ का दान भी करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस संक्रांति काल में जब सूर्य उत्तरायण की तरफ जाता है तब ठंडक से बचने के लिए शरीर को जिन पदार्थों की आवश्यकता होती है वह तिल से पूरी होती है.
तिल का सेवन करना जाड़े के दिनों में फायदेमंद रहता है
जानकार लोगों का कहना है कि सिर्फ मकर संक्रांति या तेल संक्रांति के दिन ही तिल का सेवन नहीं करना चाहिए, बल्कि इस दिन से एक महीने तक प्रतिदिन तिल के बने लड्डू का सेवन करना चाहिए ताकि शरीर में गर्मी बनी रहे. इस बारे में ज्योतिषचार्यों का कहना है कि पौराणिक कथा है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं. चूंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, इसीलिए इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है. यह भी कहा जाता है कि भगवान सूर्य और उनके पुत्र शनि के बीच तनावपूर्ण संबंध थे, लेकिन इस दिन, सूर्य भगवान और शनि देवता अपने मतभेदों को दूर करने के लिए एक साथ आए थे.
इस दिन सूर्य देव पूजा-उपासना की जाती है
मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की आराधना करने से व्यक्ति के रोग और उसके कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है. इस दिन से सूर्य की उत्तरायण गति शुरू होती है और इसी कारण इसको उत्तरायणी भी कहते हैं.
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तिल की मिठाई का होता है व्यवसाय
जबलपुर प्रमुख मिष्ठान विक्रेता कैलाश साहू का कहना है कि मकर संक्रांति से जबलपुर और उसके आसपास के जिलों में तिल की सामग्री की आपूर्ति के लिए एक महीने पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं, क्योंकि जबलपुर को तिल व्यंजनों और मिष्ठानों का प्रमुख केंद्र माना जाता है.
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