
KeyLokSabhaCandidate2024: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) को देखते हुए आचार संहिता लगने का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपनी चुनावी तैयारियां को तेज करने में जुट गई है. पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने ग्वालियर आकर क्लस्टर की चारों सीटों से बुलाये गए 400 नेताओं के साथ बड़ी बैठक की थी. अब चुनाव में प्रत्याशी चयन के लिए भी बीजेपी ने रायशुमारी शुरू कर दी है. ग्वालियर में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल (Prahlad Singh Patel) राय शुमारी करने ग्वालियर पहुंचे. उन्होंने सभी प्रमुख नेताओं और पदाधिकारियों से एक-एक कर प्रत्याशी का नाम जाना तो उन्हें कई दिग्गजों के नाम सुझाए गए. इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का नाम सबसे ऊपर बताया गया है. हालांकि इसमें कई नाम बहुत चौंकाने वाले भी थे. एक नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक बड़े पदधिकारी का भी है.
कार्यकर्ताओं की पहली पसंद कौन हैं?
ग्वालियर में बीजेपी का टिकट किसे मिलना चाहिए? इसको लेकर पार्टी ने फाइनल स्टेज पर कवायद शुरू कर दी है. इसी मकसद से पार्टी ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) के मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को ग्वालियर भेजा है. प्रहलाद पटेल ने पार्टी के दर्जनों कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और संभावित प्रत्याशियों के नाम की पर्चियां मांगी. ज्यादातर नेताओं और कार्यकर्ताओं की पहली पसंद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बताए जा रहे हैं. उनके बाद जयभान सिंह पवैया (Jaibhan Singh Pawaiya) और नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) के अलावा पूर्व मंत्री भारत सिंह कुशवाह (Bharat Singh Kushwah) का नाम भी सामने आया है.
संघ से चौकाने वाला नाम कौन है?
ग्वालियर सीट को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सीट माना जाता है. यहां अब तक जनसंघ या बीजेपी के जो भी सांसद चुने गए, वे सभी संघ की पृष्ठभूमि के रहे हैं. यहां से दो बार नारायण कृष्ण शेजवलकर (Narain Krishna Rao Shejwalkar) चुने गए हैं. वे जनसंघ और भाजपा के संस्थापकों में थे और ग्वालियर में संघ का बीजारोपण उन्होंने ही किया.
प्रहलाद पटेल का क्या कहना है?
रायशुमारी करने आये मंत्री प्रहलाद पटेल का कहना है कि यह हमारी पार्टी की नियमित और रूटीन प्रक्रिया है, क्योंकि भाजपा लोकतांत्रिक राजनीतिक पार्टी है. सबसे राय मशविरा करते हैं, यह सब अनुशासन में होता है. रायशुमारी के बाद कार्यकर्ताओं का बैकग्राउंड, पुराना अनुभव, पार्टी में योगदान और जातीय समीकरण पर भी बीजेपी मंथन करेगी.
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प्रहलाद सिंह पटेल
अब जानिए संभावित प्रत्याशियों मजबूत और कमजोर पक्ष
केंद्रीय मंत्री सिंधिया के मजबूत पक्ष की बात करें तो उन्होंन राजशाही अंदाज छोड़कर जनता में अपनी छवि मिलनसार नेता के रूप में बनाई है. ग्वालियर में नया एयरपोर्ट बनवाया, एलिवेटेड रोड के विकास में प्रयास किया, रेलवे स्टेशन के आधुनिकीकरण का कार्य, सैंकड़ो करोड़ के विकास कार्य का बजट स्वीकृत कराया. ये विकास कार्य नजर आ रहे हैं. वहीं कमजोरी की बात करें तो जातीय समीकरण में कमजोर हैं, लोकसभा क्षेत्र में मराठा समाज की संख्या कम है. टिकट मिलने पर बीजेपी के पुराने नेता भीतरघात कर सकते हैं. बीजेपी के मूल कार्यकर्ता अभी भी दूर. अपने पुराने समर्थकों से घिरे रहते हैं.

जयभान सिंह पवैया
जयभान सिंह पवैया की बात करें तो हिंदुत्व छवि के नेता और बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं. उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए अकादमिक शिक्षा को बेहतर बनाया. पार्टी कार्यकर्ताओं का समर्थन. क्षत्रिय समाज का बड़ा वोट बैंक है. माधवराव सिंधिया जैसे दिग्गज नेता से कड़ा मुकाबला किया. अटल बिहारी वाजपेयी जैसे बड़े नेता को हराने वाले माधवराव सिंधिया को पवैया की वजह से ग्वालियर सीट छोड़नी पड़ी. ग्वालियर से सांसद रहे. बेदाग नेता की छवि. भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगाने में सख्त. खांटी राष्ट्रवादी छवि और राम मंदिर आंदोलन के बड़े नेता रहे. संघ में अच्छी पकड़. कमजोरी की बात करें तो जनता में संपर्क कमजोर. सख्त मिजाज. सिंधिया समर्थकों में विरोध. निचले तबके के मतदाताओं से दूरी जैसे मुद्दे प्रमुख हैं.

नरोत्तम मिश्रा
नरोत्तम मिश्रा ने दतिया को विकास की ऊंचाइयों तक पहुंचाया है. विधानसभा चुनाव 2023 (Assembly Election 2023) भले ही हार गए लेकिन लोगों का दिल इन्होंने जीता है. ब्राह्मण समाज का बड़ा वोट बैंक और समर्थन है. विरोधियों को अपने पाले में लाने में माहिर हैं. जातीय समीकरण के अनुभवी नेता और लोगों के कार्य करने में लोकप्रिय हैं. अगर कमजोरी पर चर्चा करें तो ग्वालियर की जनता से प्रत्यक्ष संपर्क नहीं. गृहमंत्री के दौरानकार्यशैली से लोग नाराज, बातचीत की शैली में विनम्रता नहीं है, बोलने में गुरुर है.

भारत सिंह कुशवाहा
भारत सिंह कुशवाहा की बात करें तो लोकसभा क्षेत्र में कुशवाह समाज की बड़ी संख्या है. ओबीसी चेहरा, विनम्र स्वभाव, अपने विधानसभा में सड़कों का जाल बिछाया, विकास के कई बड़े कार्य किए, बीजेपी के मूल कार्यकर्ता हैं, पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के करीबी हैं. वहीं विनम्र भाषा शैली और व्यवहार कुशलता इनका मजबूत पक्ष रहा है. कमजोरी पर बात करें तो जातिवाद का आरोप, सिंधिया से तालमेल न होना, चुनाव से पहले किए गए कई वादे अधूरे जैसे मुद्दे चर्चा में हैं.
बीजेपी के कई पुराने नेता यह मानते हैं कि नए और पुराने कार्यकर्ताओं को बराबर मौका मिलना चाहिए. चारों ही दावेदारों में भारत सिंह कुशवाह सबसे युवा है. कांग्रेस ने अशोक सिंह को ओबीसी वर्ग को साधने के लिए राज्यसभा सांसद बनाया तो भारत सिंह भी ओबीसी चेहरे के रूप में मजबूत दावेदार बताए जा रहे हैं. लेकिन यहां का दारोमदार संघ और सिंधिया पर है. यह सीट इन दोनों में से ही किसी एक के खाते में जाएगी.
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