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बासमती चावल पर रामचरितमानस लिखकर टीकमगढ़ के इस शख्स ने बना दिया कीर्तिमान

Guinness Book Records: सबसे पहले उन्होंने जब यह लेखन शुरु किया तब नम्बर माह में मात्र 300 चावलों पर ही लिख पाए थे. मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आज जिले के गौरव बन गए. जीवन शर्मा की यह अनोखी पहल देख कर गिनीज बुक (Guinness Book) में इनका नाम दर्ज किया गया.

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बासमती चावल पर रामचरितमानस लिखकर टीकमगढ़ के इस शख्स ने बना दिया कीर्तिमान

Success Story: टीकमगढ़ जिले (Tikamgarh District) के रहने बाले जीवन शर्मा ने टीकमगढ़ जिले का ही नहीं बल्कि समूचे बुंदेलखंड का नाम रोशन किया है. अपनी अनूठी पहल और मेहनत के चलते इन्होंने बासमती के छोटे चावलों (Basmati Rice) पर रामचरितमानस (Ramcharit Manas) लिखकर रिकार्ड बनाया है. इस अनोखे कार्य के लिए उन्हें कई संस्थाओं ने सम्मानित भी किया गया है.

World Record

World Record : बासमती चावल के दानों पर रामचरित मानस लिखते जीवन शर्मा

हनुमान से प्रेरित हैं जीवन शर्मा

टीकमगढ़ शहर के महावीर रेजीडेंसी में रहने बाले जीवन शर्मा हनुमान के भक्त हैं और जब उन्होंने सोशल मीडिया (Social Media) पर हनुमानजी का वह चित्र देखा जिसमे वह रामचरितमानस लिखते दिखाई दे रहे थे. इसके बाद जीवन शर्मा के मन में हलचल होने लगी और उनकी अनोखी आस्था रामचरित मानस को चावलों पर उतरने लगी. जब यह बात उन्होंने अपनी पत्नी को बताई तो पत्नी ने कहा यदि आप चावल के दानों पर लिख सकते हो तो फिर सोचना क्या? इसके बाद जीवन ने चावल के दानों पर रामचरित मानस लिखने का बीड़ा उठाया और लंबे सफर के बाद मंजिल तक पहुंच ही गए. उनकी इस जिद और जुनून की वजह से न केवल टीकमगढ़ ही नहीं बल्कि समूचे बुन्देलखण्ड का नाम रोशन किया.

टीकमगढ़ शहर के जीवन शर्मा ने रील्स से प्रभावित होकर रामचरितमानस लिखने की ठानी और अपने अंदर जगी अनोखी आस्था को उन्होंने एक मिशन बनाकर छोटे-छोटे एक लाख 34 हजार 315 बासमती चावलों पर पूरा रामचरितमानस लिख डाला. इस तरह उन्होंने एक मिशाल कायम की है, उन्होंने 18 महीने की कड़ी मेहनत के दौरान रामचरित मानस के 6 कांडों को लिख डाला और अभी एक कांड बाकी है. जिसको लिखने में वह जुटे हुए हैं.
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जीवन शर्मा ने कुछ इस तरह चावल के दानों पर उकेरी है मानस

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जीवन शर्मा को मिले पुरस्कार और सम्मान

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जीवन शर्मा को मिले पुरस्कार और सम्मान

चुनौतियों को ऐसे पाया पार

जीवन प्रतिदिन तीन से चार घण्टे रामचरितमानस लिखने में लगाते थे. जिनको इस दौरान काफी मेहनत करनी पड़ी और उस दौरान उनको काफी परेशानी भी हुई. उन्होंने यह लेखन मैग्निफाइड लेंस का उपयोग कर बनाया. इस लेंस से देखकर उन्होंने 0.1, 0.2 mm वाले रोलर पेनोें से यह इतिहास रच डाला. 

सबसे पहले उन्होंने जब यह लेखन शुरु किया तब नम्बर माह में मात्र 300 चावलों पर ही लिख पाए थे. मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आज जिले के गौरव बन गए. जीवन शर्मा की यह अनोखी पहल देख कर गिनीज बुक (Guinness Book) में इनका नाम दर्ज किया गया और अगले दो महीने बाद इनको प्रमाणपत्र दिया जाएगा. वहीं इनकी कठोर मेहनत को देखते हुए दिल्ली सहित कई राज्यों की संस्थाओं ने प्रशस्ति पत्र देकर जीवन शर्मा को सम्मानित किया है. जीवन शर्मा एक सरकारी हेल्थ वर्कर (Health Worker) हैं.

इतने छोटे-छोटे बासमती चावलों पर रामचरितमानस लिखना कोई आम बात नहीं यह एक आजूबा है. जिससे जिले के लोगों में खुशी देखी जा रही है. लोगों का कहना है कि इन्होंने जिले नहीं बल्कि बुन्देलखण्ड का नाम रोशन किया है. इस उपलब्धि में इनका हौसला बढ़ाने का काम इनकी पत्नी और मित्रों का भी रहा है. इनकी इस अनोखी कला के लोग मुरीद हो रहे हैं. जीवन ने इन सभी रामचरित मानस लिखे चावलों की एक बुक बनाई है.

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