MP Forest Department : जंगली हाथियों की देखभाल और सुरक्षा को लेकर एक बड़ी खबर सामने निकल कर आई है. बता दें कि हाथियों की सुरक्षा और उन पर नजर रखने के लिए कॉलर आईडी से उनकी ट्रैकिंग की जाएगी. जंगल में जैसे अबतक बाघों की सुरक्षा को लेकर मुस्तैदी है, ठीक उसी प्रकार अब हाथियों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग एक्टिव हो गया.
योजना का ये है लक्ष्य
मिली जानकारी के अनुसार, वन विभाग ने हाथियों को कॉलर आईडी पहनाने की योजना बनाई है, जिससे उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी. यह कॉलर आईडी विदेश से मंगाई गई है और इस प्रोजेक्ट के जरिए हाथियों की सुरक्षा और उनके मानव-हाथी संघर्ष को नियंत्रित करने की कोशिश की जाएगी. यह जानकारी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में दी गई, जहां मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता में सुनवाई हुई.
हाथियों को पकड़ने का विरोध
रायपुर निवासी नितिन सिंघवी द्वारा दायर एक याचिका में यह मुद्दा उठाया गया कि जंगली हाथियों को पकड़कर उन्हें प्रशिक्षण शिविरों में रखने का वन विभाग का कदम उचित नहीं है. याचिकाकर्ता का कहना है कि हाथियों द्वारा किए गए नुकसान का समाधान केवल उन्हें पकड़ने में नहीं है, बल्कि इसके लिए उचित प्रबंधन और संरक्षण की नीति अपनाई जानी चाहिए. उन्होंने वन विभाग पर आरोप लगाया कि हाथियों को पकड़ने से उनका स्वाभाविक जीवन प्रभावित हो रहा है, और वे प्रताड़ना का सामना कर रहे हैं.
तीन महीने के भीतर जंगल में छोड़ा जाएगा
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि हाथियों को प्रशिक्षण शिविर में रखने का उद्देश्य उन्हें मानव-हाथी संघर्ष से बचाना है. उन्होंने यह भी बताया कि पहले पकड़े गए हाथी को तीन महीने के भीतर जंगल में छोड़ा जाएगा. सरकार की इस रिपोर्ट पर हाई कोर्ट ने सवाल उठाया कि किस कानून के तहत जंगली हाथियों को पकड़कर प्रशिक्षण शिविर में रखा जा रहा है. कोर्ट ने इस पर 16 दिसंबर को अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित की है.
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वन विभाग की नीतियों की आलोचना की
सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, 2017 से अब तक 10 हाथियों को पकड़ा गया है, जिनमें से दो की मौत हो चुकी है. आठ हाथी अभी भी प्रशिक्षण शिविर में हैं. याचिकाकर्ता के वकील अंशुमान सिंह ने कोर्ट में पक्ष रखा और वन विभाग की नीतियों की आलोचना की.
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