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एक डॉक्टर के भरोसे चल रहा खरगोन का सिविल अस्पताल, जिम्मेदारों को नहीं कोई सरोकार, मरीज हो रहे परेशान

सिविल अस्पताल सनावद में सुबह 9:00 बजे से आए मरीज दोपहर 12:00 बजे तक डॉक्टर का इंतजार करते रहते हैं. गर्भवती महिलाएं भी महिला डॉक्टर के इंतजार में बार-बार अस्पताल आती हैं लेकिन उन्हें इलाज नहीं मिल पाता. एक महिला डॉक्टर की नाइट में ड्यूटी लगी है जो सप्ताह में सिर्फ चार दिन ही ड्यूटी करती है. 

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एक डॉक्टर के भरोसे चल रहा खरगोन का सिविल अस्पताल, जिम्मेदारों को नहीं कोई सरोकार, मरीज हो रहे परेशान
एक डॉक्टर के भरोसे चल रहा खरगोन का सिविल अस्पताल, जिम्मेदारों को नहीं कोई सरोकार, मरीज हो रहे परेशान

खरगोन के सनावद में बने पंडित दीनदयाल उपाध्याय सिविल अस्पताल का हाल बदहाल है. आलम ये है कि सिमांक स्तर का ये सरकारी अस्पताल सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे चल रहा है. सिविल अस्पताल जब बिमांक स्तर का था तब यहां पर 7 डॉक्टर पदस्थ थे. लेकिन साल 2016 में इसे सीमांक स्तर का सिविल अस्पताल घोषित कर दिया गया. तब से यहां पर डॉक्टरों की कमी है. बता दें कि सीमांक स्तर के अस्पताल में कम से कम 11 डॉक्टरों का होना जरूरी हैं. लेकिन सनावद के सिविल अस्पताल में सिर्फ चार डॉक्टर ही पदस्थ है. उनमें से भी तीन डॉक्टर क्लास वन के हैं जो ना तो इमरजेंसी करते हैं ना ही नाइट ड्यूटी.... ऐसे में सिर्फ एक डॉक्टर विजय कोरी क्लास 2 के हैं जो प्रतिदिन सुबह 9:00 बजे से रात 9:00 बजे तक ड्यूटी करते हैं और यहां पर आने वाले मरीजों को देखते हैं. 

NDTV से बात करते हुए मरीजों का छलका दर्द

सिविल अस्पताल सनावद में सुबह 9:00 बजे से आए मरीज दोपहर 12:00 बजे तक डॉक्टर का इंतजार करते रहते हैं. इस दौरान सिर्फ 2 डॉक्टर अस्पताल पहुंचे. बीमार बच्चे अचाइल्ड स्पेशलिस्ट वीरेंद्र मंडलोई के पास अपना इलाज कर रहे थे. इलाज के लिए मरीजों की भीड़ लगी थी. सिर्फ एक डॉक्टर और दर्जनों मरीज अपनी बारी का इंतजार करते हुए अस्पताल के कॉरिडोर में जमा थे. इन्हीं में से मौजूद एक मरीज से जब NDTV  ने चर्चा की तो उन्होंने बताया कि हम डॉक्टर के इंतजार में यहां बैठे हैं.... डॉक्टर ही नहीं है तो किसे दिखाएं ? ज्यादा परेशानी गर्भवती महिला मरीजों की है. डॉक्टर हंसा पाटीदार लंबी छुट्टी पर है. ऐसे में ये मरीज अस्पताल नर्से ओर नर्सिंग कॉलेज में पढ़ने वाली ट्रेनर छात्राओं के हवाले हैं.

डॉक्टरों की कमी के चलते मरीजों को करना पड़ता है रेफर 

नर्सिंग कालेज की ट्रेनर छात्रा रक्षा ने बताया कि हम तीन छात्राएं ट्रेनिंग ले रहे हैं लेकिन यहां पर ट्रेनिंग देने वाली डॉक्टर नहीं हैं. हम नर्स स्टाफ का काम करते हैं. स्टाफ नर्स रीना मंडलोई कहती हैं कि महिला डॉक्टर नहीं होने के चलते जिन गर्भवती महिलाओं का इलाज होना हैं, उन्हें हम इंदौर खरगोन या खंडवा जाने को कहते हैं. यहां पर महिला डॉक्टर लंबी छुट्टी पर हैं. ऐसे में नॉर्मल डिलीवरी वाली महिलाएं हम एडमिट कर डिलीवरी कर देते हैं... लेकिन डॉक्टर के नहीं होने के चलते अनेकों मरीजों को बिना इलाज के वापस जाना होता है. इस अस्पताल से 40 से 50 ग्रामीण क्षेत्र जुड़े हुए हैं. बेडिया मोरगड़ी और पुनासा तक के मरीज यहां पर आते हैं. हाईवे होने के चलते अस्पताल में रोजाना एक्सीडेंट के मामले भी आते हैं. ऐसे में अस्पताल में डॉक्टर की कमी होने से दुर्घटनाग्रस्त घायलों को रेफर करना पड़ता है. गर्भवती महिलाएं भी महिला डॉक्टर के इंतजार में बार-बार अस्पताल आती हैं लेकिन उन्हें इलाज नहीं मिल पाता. 

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अस्पताल के इकलौते डॉक्टर ने NDTV से की बात 

अस्पताल के प्रभारी डा विजय कोरी ने बताया, मैं एक मात्र क्लास टू का डॉक्टर हूं. मैं सुबह 9:00 बजे से रात 9:00 बजे तक ड्यूटी करता हूं. इसके अलावा रात में इमरजेंसी होती है. तब भी अपनी सेवाएं देता हूं. साथ ही अस्पताल में आने वाली लगभग 300 से 350 OPD भी मैं ही देखता हूं. MLC PM एवं Anesthesia भी मुझे ही करना पड़ता है. आज TT ऑपरेशन कैंप है. मुझे उसकी भी तैयारी करनी है. क्लास वन डॉक्टर हंसा पाटीदार एक महीने  की छुट्टी की पर गए हुए हैं. क्लास वन डॉक्टर वीरेंद्र मंडलोई चाइल्ड स्पेशलिस्ट हैं, जो सिर्फ बच्चों का ही इलाज करते हैं. दूसरे क्लास वन डॉक्टर राहुल अटोदे वह जनरल OPD नहीं देखते हैं. एक महिला डॉक्टर की नाइट में ड्यूटी लगी है जो सप्ताह में सिर्फ चार दिन ही ड्यूटी करती है. अस्पताल को डॉक्टरों की कमी के कारण बहुत सारे मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है. मैं अकेला डॉक्टर कितने मरीजों को देख पाऊंगा. 

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