झारखंड (Jharkhand)की 85 वर्षीय महिला सरस्वती देवी (Saraswati Devi) 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के उद्घाटन के साथ ही अपना 32 साल पुराना मौन व्रत तोड़ेंगी. उनके परिवार का दावा है कि जिस दिन 1992 में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था, उसी दिन सरस्वती देवी ने प्रतिज्ञा ली थी कि जब तक अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन नहीं होगा तब तक वो मौन व्रत धारण करेंगी. अब राम मंदिर के उद्घाटन का सपना सच होने के बाद वो अपना मौन व्रत तोड़ रही हैं. इसके लिए वो बकायदा अयोध्या भी रवाना हो गई हैं. वे सोमवार रात धनबाद से अयोध्या के लिए ट्रेन से रवाना हुईं.
#WATCH झारखंड: धनबाद की सरस्वती 30 साल बाद अयोध्या में भगवान राम के सामने अपना मौन व्रत तोड़ेंगी।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 10, 2024
उनके रिश्तेदार के मुताबिक, "नित्य गोपाल दास से प्रेरित होकर वह अक्सर अयोध्या आती रहती हैं। 30 साल पहले उन्होंने कसम खाई थी कि वह राम मंदिर को अपनी आंखों से देखने के बाद ही कुछ… pic.twitter.com/E6ORScehWo
वैसे सरस्वती देवी को अयोध्या में भी स्थानीय साधु-संत जानते हैं. वे उन्हें 'मौनी माता' कहकर पुकारते हैं. मौन व्रत के दौरान वो सांकेतिक भाषा के माध्यम से परिवार के सदस्यों के साथ संवाद करती हैं। वह लिखकर भी लोगों से बात करती हैं. मौन व्रत के दौरान उन्होंने नियम बना रखा था. वो दोपहर में हर दिन एक घंटे बोलती थीं. लेकिन जिस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंदिर की नींव रखी उस दिन से उन्होंने पूरे दिन का मौन धारण कर लिया.
सरस्वती देवी धनबाद में अपने छोटे बेटे हरेराम अग्रवाल के साथ रहती हैं. हरेराम के मुताबिक जब से मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तारीख की घोषणा की गई है तब से वह बहुत खुश हैं. हरेराम अग्रवाल ने बताया है कि उनकी मां को महंत नृत्य गोपाल दास के शिष्यों ने राम मंदिर उद्घाटन कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। परिवार के सदस्यों ने कहा कि चार बेटियों सहित आठ बच्चों की मां देवी ने 1986 में अपने पति देवकीनंदन अग्रवाल की मृत्यु के बाद अपना जीवन भगवान राम को समर्पित कर दिया और अपना अधिकांश समय तीर्थयात्राओं में बिताया. सरस्वती देवी के दूसरे बेटे नंदलाल और उनकी पत्नी इन्नु अग्रवाल के मुताबिक बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद मेरी सास ने अयोध्या का दौरा किया और राम मंदिर के निर्माण तक ‘मौन व्रत' का संकल्प लिया। वह दिन में 23 घंटे मौन रहती हैं। दोपहर में केवल एक घंटे का विराम लेती हैं। बाकी समय वह कलम और कागज के माध्यम से हमसे संवाद करती हैं.
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