EOW Case: जीवाजी विश्वविघालय (Jiwaji University) के कुलगुरु (VC) अविनाश तिवारी एवं अन्य पर ईओडब्ल्यू (EOW) में अपराध पंजीबद्व किया गया है. फर्जी कॉलेज (Fake College) को मान्यता देने के मामले में लंबी जांच के बाद आर्थिक अपराध ब्यूरो ने आर्थिक अनियमितता का आपराधिक केस दर्ज कर लिया. जांच के बाद प्राप्त साक्ष्य के आधार पर यह पाया गया कि शिवशक्ति महाविद्यालय ग्राम झुण्डपुरा के संचालक रघुराज सिंह जादौन द्वारा अन्य आरोपियों के साथ मिलकर कूटरचित (Fake Document) दस्तावेज तैयार कर, कॉलेज की मान्यता एवं संबंद्धता प्राप्त कर छात्रों का फर्जी प्रवेश दिखाया गया और स्कॉलरशिप व अन्य मदों के लाभ प्राप्त कर शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया.
इनको दोषी पाया गया
जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा महाविद्यालय के निरीक्षण के लिये प्रतिवर्ष गठित जांच कमेटी के सदस्य डॉ एपीएस चौहान (अब दिवंगत), डॉ एके हल्वे, डॉ एसके गुप्ता, डॉ एसके सिंह, डॉ सीपी शिन्दे, डॉ आरए शर्मा, प्रोफेसर अविनाश तिवारी (वर्तमान कुलगुरु), डॉ केएस ठाकुर, ज्योति प्रसाद, डॉ नवनीत गरुड, डॉ सपन पटेल, डॉ एसके द्विवेदी, डॉ हेमन्त शर्मा, डॉ राधा तोमर, डॉ आरपी पाण्डेय, डॉ एमके गुप्ता, डॉ निमिषा जादौन, डॉ सुरेश सचदेवा, डॉ मीना श्रीवास्तव द्वारा असम्यक लाभ प्राप्त कर असत्य आधारों पर उक्त महाविद्यालय के फर्जी निरीक्षण प्रतिवेदन तैयार कर उस महाविद्यालय की संबंद्धता लेने में सहयोग करने से उक्त व्यक्तियों के खिलाफ धारा 420, 409, 467, 468, 120बी एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 संशोधित अधिनियम 2018 की धारा 7 का अपराध प्रथम दृष्टया प्रमाणित पाया गया.
बताया गया कि जांच दल के सदस्य डॉ एपीएस चौहान की मृत्यु हो जाने से शेष डॉ एके हल्वे, डॉ एसके गुप्ता, डॉ एसके सिंह, डॉ सीपी शिन्दे, डॉ आरए शर्मा, प्रोफेसर अविनाश तिवारी (वर्तमान कुलगुरु), डॉ केएस ठाकुर, ज्योति प्रसाद, डॉ नवनीत गरुड, डॉ सपन पटेल, डॉ एसके द्विवेदी, डॉ हेमन्त शर्मा, डॉ राधा तोमर, डॉ आरपी पाण्डेय, डॉ एमके गुप्ता, डॉ निमिषा जादौन, डॉ सुरेश सचदेवा, डॉ मीना श्रीवास्तव एवं अन्य के खिलाफ IPC एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 संशोधित अधिनियम 2018 की धारा के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध किया गया है. इनमे से प्रो अविनाश तिवारी वर्तमान मे जीवाजी विवि तो प्रोफेसर केएस ठाकुर वर्तमान में बांसवाड़ा, राजस्थान के कुलगुरु हैं.
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