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जबलपुर हाईकोर्ट पहुंचा सूचना आयोग में नियुक्तियों का मामला, अब फिर होगी सुनवाई

Madhya Pradesh High Court: मध्य प्रदेश में सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत अपीलों के निराकरण में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं, इसकी बड़ी वजह आयुक्तों के पदों का खाली होना है. अब इस मामले पर शनिवार को फिर से सुनवाई होगी. 

जबलपुर हाईकोर्ट पहुंचा सूचना आयोग में नियुक्तियों का मामला, अब फिर होगी सुनवाई
जबलपुर हाईकोर्ट पहुंचा सूचना आयोग में नियुक्तियों का मामला, अब फिर होगी सुनवाई.

MP News In Hindi: मध्य प्रदेश में सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत अपीलों के निराकरण में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं, मध्य प्रदेश में राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के पद पिछले पांच महीनों से खाली हैं. RTI अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, अपीलों का निराकरण दो महीने के भीतर होना चाहिए.  आयुक्तों की अनुपस्थिति के कारण यह प्रक्रिया रुक गई है, जिससे जनहित से जुड़े कई महत्वपूर्ण मामलों पर जानकारी सार्वजनिक नहीं हो पा रही है.

जल्द से जल्द नियुक्ति की मांग की गई

इन्हीं समस्याओं को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में एडवोकेट विशाल बघेल ने एक याचिका दायर की है, जिसमें राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के पदों पर जल्द से जल्द नियुक्ति की मांग की गई है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सूचना आयुक्तों की अनुपस्थिति में सूचना का अधिकार अधिनियम का पालन ठीक से नहीं हो पा रहा है, जिससे नागरिकों के अधिकारों का हनन हो रहा है.

यह जानकारी सार्वजनिक नहीं हो पाई

एक महत्वपूर्ण उदाहरण जबलपुर के अस्पताल अग्निकांड का है, जिसमें आठ लोगों की मौत हुई थी. इस मामले में संबंधित अस्पताल को दी गई क्लीन चिट की जानकारी RTI के तहत मांगी गई थी, लेकिन सूचना आयोग में अपील दायर होने के बावजूद सुनवाई न होने के कारण यह जानकारी सार्वजनिक नहीं हो पाई. ऐसे ही कई अन्य मामले भी हैं, जिनमें जनहित की सूचनाएं लंबित हैं.

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शुक्रवार को सुनवाई होनी थी पर नहीं हो पाई

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन वह नहीं हो पाई. अब इस मामले पर कल एक बार फिर से सुनवाई होने की उम्मीद है. याचिकाकर्ताओं को उम्मीद है कि कोर्ट राज्य सरकार को जल्द से जल्द इन पदों पर नियुक्ति के निर्देश देगा, ताकि सूचना के अधिकार का प्रभावी ढंग से पालन हो सके और नागरिकों को उनका हक मिल सके. इस याचिका पर कोर्ट का फैसला आने वाले दिनों में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि यह सीधे तौर पर नागरिकों के अधिकारों और शासन की पारदर्शिता से जुड़ा हुआ है.

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