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पर्यावरण बचाने के लिए लॉ स्टूडेंट ने CJI को लिखा पत्र, कहा- हर अदालत में इस्तेमाल हों A4 साइज पेपर

छात्र विख्यात माहेश्वरी ने NDTV से कहा, 'अभी भी कई न्यायालय में लीगल साइज का पेपर उपयोग किया जा रहा है, जिसकी 2 रुपए कास्ट होती है और A4 साइज 1 रुपए का होता है.'

पर्यावरण बचाने के लिए लॉ स्टूडेंट ने CJI को लिखा पत्र, कहा- हर अदालत में इस्तेमाल हों A4 साइज पेपर
लॉ स्टूडेंट ने CJI को लिखा पत्र

Jabalpur News: धर्मशास्त्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में तृतीय वर्ष के विधि छात्र विख्यात महेश्वरी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ (CJI D.Y. Chandrachud) और सेक्रेटरी जनरल अतुल एम. कुर्डेकर को पत्र भेज कर अनुरोध किया है कि पूरे देश की सभी न्यायिक संस्थाओं में ए4 पेपर के इस्तेमाल की जरूरत पर जोर दिया जाए. छात्र विख्यात महेश्वरी ने बताया कि ए4 साइज़ के पेपर से पर्यावरण और कानूनी लागत में बचत होगी. इस से ए4 पेपर, मार्जिन, फॉन्ट स्टाइल, फॉन्ट साइज, लाइन स्पेसिंग और अन्य एकरूपता बनेगी.

इस बारे में छात्र विख्यात महेश्वरी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के सर्कुलर दिनांक 14 जनवरी 2020 और 5 मार्च 2020 (एफ. नं. 01/जड़ी./2020) के अनुसार न्यायिक प्रणाली के लिए समरूपता लाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है. पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने 4 विधि छात्रों के पत्र में लिखे सुझाव मानकर सामान्य जनता को पर्यावरण, वातावरण, प्रकृति और आर्थिक बोझ से बचाने के लिए ए4 साइज पेपर का इस्तेमाल और पेपर के दोनों तरफ प्रिंट करने की सिफारिश की थी.

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25 में से 22 हाई कोर्ट इस्तेमाल कर रहे ए4 साइज पेपर

इस सर्कुलर को विभिन्न उच्च न्यायालयों और जिला न्यायालयों में कुछ ने ही माना था. विधि छात्र विख्यात महेश्वरी ने NDTV को बताया कि 25 उच्च न्यायालयों में से केवल 22 ए4 साइज पेपर का उपयोग कर रहे हैं, जिसमें विभिन्न न्यायालयों में एकरूपता भी नहीं दिखाई देती. इसमें से 21 उच्च न्यायालयों ने इसके संदर्भ में शेष न्यायालयों ने न्यायिक, प्रशासनिक या दोनों पक्षों के लिए सर्कुलर/ सूचनाएं/ आदेश प्रसारित किए हैं. 

21 उच्च न्यायालयों में से 13 ने सर्कुलर/ सूचनाएं/ आदेश जारी करके कागज के दोनों साइड प्रिंट करने को अनिवार्य किया है. 6 न्यायालयों ने एकतरफा प्रिंटिंग को अनिवार्य किया. बाकी न्यायालयों ने कुछ नहीं कहा. विभिन्न हाई कोर्ट में यह असमानता फॉरमेटिंग स्टाइल्स और पेपर क्वॉलिटी में भी देखी जा सकती है. यह वकीलों और सामान्य जनता के लिए परेशानी भी पैदा करती है. कुछ उच्च न्यायालयों ने ए4 साइज के कम से कम 75 जीएसएम गुणवत्ता के पेपर का उपयोग करने का आदेश दिया है. कुछ ने कम से कम 80 जीएसएम की मांग की है और बाकी ने कुछ नहीं कहा है.

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छात्र ने पत्र लिखकर किया अनुरोध

छात्र विख्यात महेश्वरी के पत्र में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ से अनुरोध किया गया है कि सभी उच्च न्यायालय और जिला न्यायालयों को सुप्रीम कोर्ट की ओर से 2020 में जारी की गई मार्गदर्शिकाओं का पूर्ण अनुसरण करने के लिए त्वरित आदेशित करें. छात्र विख्यात माहेश्वरी ने NDTV से कहा, 'अभी भी कई न्यायालय में लीगल साइज का पेपर उपयोग किया जा रहा है, जिसकी 2 रुपए कास्ट होती है और A4 साइज 1 रुपए का होता है.' 

क्यों जरूरी है एकरूपता?

यदि पेपर दोनों साइड प्रिंट किया जाए तो पेपर आधे लगेंगे और पैसे भी बचेंगे. अभी भी कई निचली अदालत में और देश के कई हाई कोर्ट में यह आदेश लागू न होने से जब बड़ी कोर्ट में अपील की जाती है तो एडवोकेट्स को लीगल पेपर में ही अपनी याचिका जमा करनी पड़ती है. सभी कोर्ट में यदि एक साथ एकरूपता आ जाए A4 साइज पेपर, फोंट साइज भी एक मान्य हो और पेपर दोनों साइड प्रिंट किया जाए तो देश में लाखों पेड़ बचाए जा सकते हैं. यह पर्यावरण के लिए भी एक उपयोगी कदम होगा.

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