Madhya Pradesh High Court: लंबे इंतजार के बाद ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के सभी 91 प्रकरणों की सुनवाई सोमवार को जस्टिस शील नागू और जस्टिस विनय सराफ (Justice Sheel Nagu and Justice Vinay Saraf) की खंड पीठ में होनी थी. लेकिन सुनवाई के पहले सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल आशीष बेर्नार्ड (Additional Advocate General Ashish Bernard) द्वारा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में लंबित ट्रांसफर याचिका का हवाला देकर कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में उन याचिकाओं की सुनवाई दिनांक 13 फरवरी को होनी है. तब तक हाईकोर्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण के प्रकरणों की सुनवाई न की जाए. इस तर्क को सुनने के बाद अदालत ने सुनवाई को 26 फरवरी तक के लिए टाल दिया है.
पक्ष रखने वाले वकील ने क्या कहा?
वहीं ओबीसी का पक्ष रखने के लिए नियुक्त किए गए विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह एवं विनायक प्रसाद शाह ने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही दायर दो ट्रांसफर याचिकाओं को निरस्त किया जा चुका है, इसलिए उन प्रकरणों की त्वरित और फायनल सुनवाई किया जाना अत्यंत आवश्यक है. दलील दी गई कि हाईकोर्ट के द्वारा विभिन्न याचिकाओं में अंतरिम आदेश जारी किए गए हैं और भर्ती एजेंसियों द्वारा उक्त प्रकारणों का हवाला देकर 87% पदों पर रिजल्ट जारी किए जा रहे और ओबीसी वर्ग के चयनित लगभग आधे अर्थात 13% अभ्यार्थियों को होल्ड किया गया है.
मामला क्या है?
हाईकोर्ट के द्वारा विभिन्न याचिकाओं में अंतरिम आदेश जारी किए गए हैं और भर्ती एजेंसियां उक्त प्रकारणों का हवाला देकर 87% पदों पर रिजल्ट जारी किए जा रहे है. वहीं ओबीसी वर्ग के चयनित लगभग आधे अर्थात 13% अभ्यार्थियों को नियम विरुद्ध होल्ड करके उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है ठीक इसी प्रकार सामान्य वर्ग के भी 13% चयनित अभ्यर्थियों को होल्ड किया जा रहा है. इसलिए कोर्ट से कहा गया है कि सभी अंतरिम आदेश निरस्त किए जाएं ताकि तमाम भर्तियां पर 100% पदों पर नियुक्ति का रास्ता साफ हो सके. लेकिन एडिशनल एडवोकेट आशीष बेर्नार्ड ने कोर्ट से उन प्रकरणों की सुनवाई अगले महीने के अंतिम सप्ताह में किए जाने का अनुरोध किया गया जिसे हाईकोर्ट ने मान लिया है और 26 फरवरी 2024 को अगली सुनवाई की तारीख तय की है.
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