एक बार फिर NDTV की खबर का असर हुआ है. मध्यप्रदेश सरकार ने उप श्रमायुक्त लक्ष्मीप्रसाद पाठक ( Lakshmi Prasad Pathak) को श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल का OSD बनाने का आदेश निरस्त कर दिया है. दरअसल गुरुवार को ही NDTV ने करप्शन के आरोपी लक्ष्मीप्रसाद पाठक को श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल (Prahlad Patel) का OSD बनाए जाने की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. खबर के बाद मोहन यादव प्रशासन हरकत में आया और नया आदेश जारी कर उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही ये भी कहा है कि स्क्रीनिंग के बाद इस पर फैसला लिया जाएगा.फिलहाल बैतूल में श्रम पदाधिकारी धम्मदीप भगत (Dhamdeep Bhagat) को वर्तमान कार्य के साथ-साथ श्रम मंत्री का OSD बनाया गया है.
दरअसल श्रम मंत्री प्रह्लाद पटेल ने भी लक्ष्मीप्रसाद पाठक को OSD बनाए जाने के मसले पर संज्ञान लिया था. उनका कहा है कि उन्होंने ने ही इस आदेश को निरस्त कराया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर बताया है कि श्रम मंत्रालय भोपाल ने जिन महानुभाव को मेरे साथ अस्थायी तौर पर अचैत किया था, उन पर लोकायुक्त जांच के समाचार के बाद पुन: अस्थायी व्यवस्था की गई है. मेरा स्पष्ट मत है कि विभाग के प्रमुख जिम्मेदारी लेकर स्क्रीनिंग करें ताकि स्थायी या अस्थायी व्यवस्था पूर्णत: निर्दोष रहे.
लक्ष्मी प्रसाद पाठक के खिलाफ साल 2014 में करप्शन का मामला लटका पड़ा है. तब भ्रष्टाचार निरोधक निगरानी की टीमों ने इंदौर और सिंगरौली जिलों में पाठक के परिसरों पर छापा मारा था, जिससे कथित तौर पर लगभग 2.5 करोड़ रुपये की संपत्ति का पता चला था.
NDTV ने अपनी खबर में बताया था कि मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के आरोपियों की संख्या 26 फीसदी तक बढ़ गई है. ये आंकड़े 2022 के हैं जो इसके पहले के दो सालों की स्थिति की तुलना करते हैं. NCRB के आंकड़ों पर भरोसा करें तो पता चलता है कि भ्रष्टाचार के मामले में देश में महाराष्ट्र टॉप पर है और मध्यप्रदेश छठे नंबर पर. लेकिन परेशानी ये है कि भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई के मामले में मध्यप्रदेश बेहद फिसड्डी है. यहां संबंधित विभाग द्वारा किसी भी आरोपी को दंड देने का रिकॉर्ड बेहद खराब है. जबकि पड़ोसी राज्य राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और देश के दूसरे राज्यों में भ्रष्ट वरिष्ठ अधिकारी भी जेल की हवा खाते रहते हैं. सरकार के इस रवैये से कहीं न कहीं भ्रष्टाचारियों के हौंसले बुलंद हो रहे हैं.
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