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अयोध्या में राम मंदिर तैयार, लेकिन खंडवा में सीता मंदिर व बावड़ी को उद्धार की है दरकार

Madhya Pradesh News : जिस जगह यह सीता बावड़ी और मंदिर है, वहां कभी आम के बड़े-बड़े पेड़ हुआ करते थे, जिन्हें आम्रकुंज भी कहा जाता था. अब यहां रामेश्वर कुंड, ऐतिहासिक सीता बावड़ी और मंदिर तो है, लेकिन रखरखाव के आभाव में  कचरा, मलबा व अतिक्रमण के कारण यहाां का पुराना वैभव ख़त्म हो गया है.

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अयोध्या में राम मंदिर तैयार, लेकिन खंडवा में सीता मंदिर व बावड़ी को उद्धार की है दरकार

Ram Mandir Ayodhya : अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बन कर लगभग तैयार है. जल्द ही इस भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Pran Pratishtha of Shri Ram in Ayodhya) भी हो जाएगी. लेकिन वनवास के दौरान जहां भगवान राम और सीता के कदम पड़े, वो जगह अब भी अपने उद्धार की राह देख रही है. खंडवा (Khandwa) में अभी भी माता सीता का मंदिर और सीता बावड़ी को जीर्णोद्धार (Renovation) की दरकार है. एक ओर जहां अयोध्या में रामलला का मंदिर बनकर तैयार हो रहा है, तो वहीं दूसरी ओर अब यहां भी सीता माता के मंदिर निर्माण की मांग उठने लगी है. नेपाल (Nepal) सहित देश भर में लगभग 10 जगहों पर माता सीता के मंदिर हैं. अगर यह मंदिर बनता है तो यह देश का 11वां मंदिर होगा, जहां माता सीता भगवान राम के साथ भव्य रूप में विराजेंगी.

MP News : खंडवा का सीता मंदिर

MP News : खंडवा का सीता मंदिर

यहां की मान्यता क्या है?

मान्यता है कि त्रेता युग में जब भगवान राम को वनवास हुआ, तो वह उत्तर से दक्षिण की और निकल पड़े. उत्तर से दक्षिण की ओर जाते समय वह भारत के मध्य में स्थित तत्कालीन खांडव वन जिसे अब खंडवा के नाम से जाना जाता है, वहां रुके थे. यहां माता सीता को प्यास लगी, उस समय उनके पास पानी नहीं था. भगवान राम ने अपना धनुष उठाया और तीर चलाया. ऐसा बताया जाता है कि तीर पास में ही धरती को चीरकर अंदर धंस गया, जिस जगह तीर धंसा था, उस जगह से पानी निकलने लगा. उसी पानी से माता सीता ने अपनी प्यास बुझाई. तब से ही यहां बने कुंए को बाण मारे का कुंआ कहा जाने लगा. अब यहां से शहर के लोग पानी पीते हैं. इस स्थान को अब रामेश्वर कुंड भी कहा जाता है.

यहीं एक बावड़ी भी है जिसे सीता बावड़ी कहते हैं. बावड़ी के पास ही माता सीता का मंदिर भी है. इसी सीता मंदिर की हालत अब बहुत जर्जर है, जिसकी देखभाल करने वाले नाथ सम्प्रदाय की कंचन जोगी बताती हैं कि ये एक पुरातन काल का मंदिर है, जिसकी देखभाल करते हमारी पीडियां गुजर गईं, अब इसके जीर्णोद्धार की मांग उठने लगी है. अगर ये मंदिर बनता है तो हम इसकी अच्छी देखभाल कर सकेंगे.
MP News : खंडवा में सीता जी की बावड़ी

MP News : खंडवा में सीता जी की बावड़ी

पुराना वैभव नष्ट हो रहा है

जिस जगह यह सीता बावड़ी और मंदिर है, वहां कभी आम के बड़े-बड़े पेड़ हुआ करते थे, जिन्हें आम्रकुंज भी कहा जाता था. अब यहां रामेश्वर कुंड, ऐतिहासिक सीता बावड़ी और मंदिर तो है, लेकिन रखरखाव के आभाव में  कचरा, मलबा व अतिक्रमण के कारण यहाां का पुराना वैभव ख़त्म हो गया है.

सीता माता और भगवान राम का मंदिर बनाए जाने की मांग बहुत पुरानी है, लगभग चौदह वर्ष पहले एक समाजसेवी रिंकू सोनकर ने आंदोलन भी किया था. उन्होंने इसके लिए राम यात्रा भी निकली थी. उन्होंने यहां पर बने मन्दिरों के जीर्णोद्धार की मांग भी की थी. 

जर्जर होते सीता मंदिर का हो पुनर्निमाण : स्थानीय लोग 

स्थानीय लोग इस ऐतिहासिक रामेश्वर कुंड में पूजा अर्चना करने आते हैं. उनका भी मानना है कि पुरातन समय में यह खांडव वन हुआ करता था, जोकि राक्षस खरदूषण की नगरी थी. वनवास के दौरान भगवान राम और माता सीता सहित लक्ष्मण यहां आये थे. इन लोगों का मानना है की जिस तरह आयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है, उसी तरह यहां पर भी जर्जर होते सीता मंदिर (Sita Mandir) का पुनर्निमाण (Reconstruction) कर भव्य रूप में बनाया जाये.
 

स्थानीय लोगों की मांग के बाद अब कुछ समाज सेवी भी आगे आये हैं, जो इस मंदिर का पुनर्निर्माण करना चाहते हैं. उनका कहना है कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार कर सांस्कृतिक विरासत (Cultural Heritage) को सहेजा जायेगा. ताकि लोग धर्म और आस्था से जुड़ सकें. उनका मानना है की 22 जनवरी से पहले यहां पर मंदिर का नव निर्माण शुरू कर दिया जाये, ताकि लोग राम मंदिर के उद्घाटन के समय यहां आकर माता सीता के भी दर्शन कर सकें.

एक समाजसेवी कहते हैं कि 500 बरस बाद रामलला अपने दरबार में विराजेंगे. ऐसे में देशभर में जहां-जहां भगवान राम के कदम पड़े, उन जगहों को भी सहेजने की तैयारी की जारी है. वनवास के दौरान भगवान राम उत्तर से दक्षिण जाते समय यहां भी आये थे.  इस जगह सीता बावड़ी और माता सीता का मंदिर भी है, जो जर्जर अवस्था में है, लेकिन अब उसे हम संवारेंगे. उसके लिए पूरी तैयारी कर ली गयी है. जल्द ही इसका नक्शा बनाकर इसका निर्माण शुरू कर लिया जायेगा.

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