ex-gratia scam in Madhya Pradesh: एनडीटीवी (NDTV) ने फरवरी में भोपाल नगर निगम (Nagar Nigam Bhopal) में अनुग्रह राशि घोटाले (ex-gratia scam) का खुलासा किया था. Bhopal Municipal Corporation का घोटाला उजागर करने के 4 महीने बाद लोकायुक्त (Lokayukta) पुलिस (Lokayukta police) ने 17 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ मामला (Case) दर्ज कर लिया है. इस घोटाले (Scam) में मृतक मजदूरों के अंतिम संस्कार सहायता राशि (Funeral Assistance Amount) की हेराफेरी से जुड़ी कई अनियमितताओं का पता चला था, जिसमें जीवित व्यक्तियों और फर्जी खातों के नाम पर धन की निकासी भी शामिल है.
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क्या है मामला?
2003 से मध्य प्रदेश में कामगारों के लिये मप्र भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल (Madhya Pradesh Building and Other Construction Workers Welfare Board) बना हुआ है, राज्य में 90 प्रतिशत से अधिक श्रमिक असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं, जिसमें बड़ी संख्या निर्माण से जुड़े श्रमिकों का है. इन्हीं श्रमिकों के लिये मंडल काम के दौरान मृत्यु और दुर्घटना होने पर अंत्येष्टि के लिये 2 लाख की सहायता देता है. पंजीकृत श्रमिक की दुर्घटना में स्थायी या आंशिक अस्थायी चोट लगने पर भी अनुग्रह राशि दी जाती है. लेकिन अकेले राजधानी भोपाल में इसमें करोड़ों का घोटाला हो गया.
NDTV ने क्या खुलासा किया था?
इस साल फरवरी में जब NDTV ने इन मामलों का खुलासा किया, तो उर्मिला रायकवार और मोहम्मद कमर जैसे लोग ये जानकर हैरत में पड़ गये थे कि उनके नाम पर धोखाधड़ी से धन निकाला गया है और उन्हें मृत घोषित कर दिया गया है. वहीं, लीलाबाई जैसी वास्तविक लाभार्थियों, जिनकी बेटी काम से संबंधित दुर्घटना में मारी गई थी, उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला.
जो 118 फाइलें हमें मिली उससे कुछ बातें समझ आईं थीं कि ज्यादातर मामलों में ई पेमेंट ऑर्डर यानी ईपीओ रात 11 बजे के बाद निकला, ईपीओ के लिये धुंधले मृत्यु प्रमाण पत्र अपलोड हुए, किसी आईडी में आधार नंबर अपडेट नहीं था. कई मामलों में मौत से ठीक पहले समग्र आईडी बनी, फर्जीवाड़े के लिये उन श्रमिकों को चुना गया जिनकी मज़दूरी डायरी सक्रिय नहीं थी.
लोकायुक्त पुलिस के सूत्रों के मुताबिक " फर्जीवाड़ा करने वालों के हौसले इतने बुलंद थे कि उन्होंने एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी के मृत बेटे के नाम पर अंतिम संस्कार सहायता राशि भी निकाल ली, एक जीवित बीएमसी कर्मचारी ने अपने नाम पर अनुग्रह राशि का दावा किया. एक सेवानिवृत्त शिक्षक, वल्लभ भवन के एक सरकारी कर्मचारी, एक डॉक्टर और लोगों के नाम पर भी फर्जीवाड़ा किया गया."
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