
MP Bribery Case: मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से रिश्वतखोरी का मामला सामने आया है. केवलारी थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक मनीष कुमार पटवा को लोकायुक्त जबलपुर ने रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है. आरोप है कि पटवा ने एक ठेकेदार से धोखाधड़ी की FIR दर्ज करने के बदले ₹5 लाख की भारी रकम मांगी थी. लोकायुक्त ने उसे ₹75,000 की रिश्वत लेते हुए दबोच लिया.
ठेकेदार से मांगी ₹5 लाख की रिश्वत
पूरा मामला एक सिविल ठेकेदार नितिन पाटकर की शिकायत से शुरू हुआ. पाटकर ने नगर परिषद केवलारी में सीसी रोड और नाली निर्माण का ठेका लिया था. यह काम उन्होंने राहुल राय नाम के व्यक्ति को पेटी ठेके पर दिया था. आरोप है कि राहुल राय ने घटिया निर्माण कर भुगतान के नाम पर ठेकेदार के साथ धोखाधड़ी की. जब नितिन पाटकर ने 8 अक्टूबर 2025 को केवलारी थाने में शिकायत दर्ज कराई, तो प्रधान आरक्षक मनीष पटवा ने FIR दर्ज करने के बदले ₹5 लाख की रिश्वत मांग ली.
पहले ले चुका था ₹25,000 की रकम
रिश्वत की यह मांग सुनकर परेशान ठेकेदार ने लोकायुक्त पुलिस जबलपुर से संपर्क किया. जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि आरोपी पटवा पहले ही ₹25,000 की रकम रिश्वत के रूप में ले चुका था. इसके बाद लोकायुक्त टीम ने पूरे मामले की योजना बनाकर ट्रैप की तैयारी की.
रंगे हाथ पकड़ा गया आरोपी
16 अक्टूबर 2025 को लोकायुक्त पुलिस ने जाल बिछाकर केवलारी थाने में ही कार्रवाई की. जैसे ही मनीष पटवा ने रिश्वत की दूसरी किश्त ₹75,000 ली, टीम ने उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया. यह पूरी कार्रवाई निरीक्षक उमा कुशवाहा के नेतृत्व में की गई. आरोपी की गिरफ्तारी के बाद पुलिस थाने में हड़कंप मच गया.
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भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज
लोकायुक्त टीम ने आरोपी प्रधान आरक्षक के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) की धारा 7, 13(1)B और 13(2) के तहत केस दर्ज किया है. अब आगे की जांच और वैधानिक कार्रवाई जारी है. लोकायुक्त अधिकारियों का कहना है कि सरकारी तंत्र में रिश्वतखोरी के खिलाफ ऐसी कार्रवाई लगातार जारी रहेगी, ताकि जनता में पुलिस पर भरोसा कायम रह सके.
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