Ujjain Crime News: बुलडोजर का इंसाफ कितना गलत होता है इसका ताजा उदाहरण है उज्जैन शहर में महाकाल की सवारी के दौरान कथित तौर पर थूकने का केस...जिन पर आरोप था उनके घर बिना अदालती जिरह के ढहा दिए गए और अब अदालत ने तीनों आरोपियों को जमानत दे दी है क्योंकि शिकायकर्ता ने ही आरोपी को पहचानने से इनकार कर दिया. उधर आरोपियों को जमानत मिल जाने के बाद मध्यप्रदेश पुलिस कुछ भी कहने से बच रही है लेकिन सवाल ये है कि जिनका आशियाना टूटा क्या वो उन्हें वापस मिलेगा? हालांकि आरोपियों के पिता बोल रहे हैं कि जो हुआ सो हुआ मेरे बच्चों को तो जमानत मिल गई.
उसके अगले ही दिन पुलिस-प्रशासन ढोल डीजे के साथ अशरफ के घर पहुंचा और उसके तीन मंजिला मकान को बुलडोजर की सहायता से ढहा दिया. बाद में पुलिस ने तीनों आरोपियों को पकड़कर जेल भी भेज दिया. केस की सुनवाई मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में हुई. जहां आज यानी 17 जनवरी को जस्टिस अनिल वर्मा की कोर्ट ने आरोपी ने 18 साल के आरोपी अदनान को जमानत दे दी. इससे पहले दो नाबालिग आरोपियों को भी जमानत मिल चुकी है. पुलिस ने दावा किया कि सावन लोट की शिकायत पर उसने 18 साल के अदनान और 2 नाबालिगों पर एफआईआर दर्ज की थी. अब सावन लोट का कहना है कि वो एक आरोपी को नहीं पहचानते लेकिन दो दूसरे आरोपियों को जानते हैं जिनके खिलाफ वे गवाही भी देंगे.
सावन लोट
हालांकि अदालत में दिये गये बयान में सावन ने पुलिस की थ्योरी, जांच और उसके बयान सबपर खुद सवाल उठाये थे जो इन दस्तावेजों में दर्ज हैं. दूसरी तरफ मामले में अधिवक्ता देवेंद्र सिंह सेंगर का कहना है कि इस केस में दो मुख्य गवाह थे. जो मुख्य गवाह था उसने घटना को देखने और FIR में जो कंटेंट लिखा था उन दोनों से साफ़ इंकार कर दिया. गवाह का कहना है कि पुलिस ने उससे दस्तख़त करवा लिए थे. सावन लोट के अलावा जो दूसरा चश्मदीद गवाह था अजय खत्री वो भी आरोपियों को नहीं पहचान पाया.
देवेंद्र सिंह सेंगर
इस पूरे केस में अशरफ शेख का दर्द समझा जा सकता है. उनके ही बच्चे इस केस में फंसे थे. उनका घर टूट गया है लेकिन वे बेटे की जमानत पर खुश हैं.
अशरफ शेख
अदनान को जमानत मिलने के बाद उज्जैन के खारा कुआं थाने की पुलिस साफ-साफ कुछ कहने से बच रही है. थाने के उप निरीक्षक लिवान कुजूर का कहना है कि बेल किस कारण से हुई है ये तो अदालत का मसला है. हमें सिर्फ यही जानकारी है कि महाकाल की सवारी पर थूकने का मामला था. फिलहाल केस चल रहा है लिहाजा इस मामले में हम कुछ भी नहीं कह सकते हैं.
ये भी पढ़ें: MP News: 162 करोड़ का बड़ा फर्जीवाड़ा, वेतन, स्कॉलरशिप और अनुदान भुगतान के नाम पर हुआ घालमेल