Hanuman Jayanti in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश की संस्कारधानी के नाम से मशहूर जबलपुर (Jabalpur) के गौरी घाट (Gauri Ghat) में अर्जी वाले हनुमान (Arji wale Hanuman) जी (Lord Hanuman) का मंदिर स्थित है, बजरंगबली (Bajrangbali) के इस मंदिर (Hanuman Mandir) के बारे में मान्यता है कि यहां सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. गौरी घाट के इस मंदिर में ऐसी मान्यता है हनुमान जी की अदालत लगती है और इस अदालत में हनुमान जी स्वयं सूक्ष्म रूप में दिखते हैं. कहा जाता है कि जो मुकदमे वर्षों से अदालत में पूरे नहीं हो पाए वह हनुमान जी की इस अदालत में एक अर्जी मात्रा लगाने से पूरे हो जाते हैं. इसलिए हनुमान जी की इस अदालत में विवाद से लेकर संतान प्राप्ति तक की अर्जी लगाई जाती है, जिन्हें नौकरी (Job) नहीं मिल रही हो, उन्हें नौकरी का बुलावा आ जाता है.
एक नारियल से लगाई जाती है अर्जी
इस मंदिर में एक नारियल से हनुमान जी को अर्जी लगाई जाती है. अर्जी लगाने के बाद वह मनोकामना कुछ दिनों में पूर्ण हो जाती है. जब यह मनोकामना पूरी होती है तब चढ़ाया गया नारियल अपने आप हनुमान जी के मस्तक से चरणों में गिर जाता है और बाद में मनोकामना मांगने वाला श्रद्धालु हनुमान जी की अदालत में हाजिर होकर कुछ पुण्य के कार्य करता है.
दुश्मन का संहार करते हैं हनुमान
गौरी घाट के इस मंदिर में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति का स्वरूप ऐसा है जिसमें वह दुश्मन के संहार के लिए जाते हुए दिखते हैं. इसीलिए मान्यता है कि जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों को भगवान जी इस रूप से खत्म कर देते हैं और लोगों के संकट दूर होते हैं.
प्रतिदिन आती हैं सैकड़ों अर्जियां
देश-विदेश के नागरिक हनुमान मंदिर में बिना जाति, धर्म और संप्रदाय के भेदभाव के अपनी अर्जियां लगाते हैं. इन्हें एक रजिस्टर में लिखा जाता है और एक नंबर दिया जाता है. यह नंबर नारियल में बांध दिया जाता है. मनोकामना पूर्ण होने के बाद श्रद्धालु इस मंदिर में आकर मनोकामना पूर्ण होने के उपलक्ष्य में कुछ पुण्य के कार्य करते हैं. अभी तक मंदिर में लाखों अर्जियां लगाई जा चुकी है.
हजारों साल पुरानी बाल्य हनुमानजी की मूर्ति आज देती है दर्शन
मंदिर के संरक्षक पंडित इंद्रभान शास्त्री बताते हैं कि रामलला मंदिर के गर्भगृह में हनुमान जी की हजारों साल पुरानी करीब पांच अंगुल बराबर एक अष्टधातु की प्रतिमा है. इस प्रतिमा में हनुमानजी बाल्य स्वरूप में हैं. प्रतिमा सदियों पुरानी है. इसे साल में केवल एक बार हनुमान जन्मोत्सव के दिन ही गर्भगृह से बाहर निकाला जाता है. प्रतिमा को षोडशोपचार पूजन विधि से पूजन किया जाता है. हनुमान जी के बाल्य रूप का अभिषेक दूध, दही, शहद, शक्कर और नदियों के पवित्र जल से किया जाता है. उन्हें दूध और लड्डुओं का भोग अर्पित किया जाता है. यह परंम्परा पूर्वजों के जमाने से चली आ रही है.
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