धान की कटाई शुरू होते ही पराली की समस्या फिर शुरू हो गई है. पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए एक तरफ जहां सरकार ने पराली जलाने पर रोक लगा दी है. साथ ही इसका निष्पादन मशीनों के जरिए न करने पर जुर्माना और जेल की कठोर कार्रवाई के नियम बना दिए हैं. इससे किसान परेशान हैं, उनका कहना है कि एक तरफ सरकार बड़े जुर्माने लगाने पर आमादा है, जबकि सरकार उन्हें पराली खत्म करने के लिए मशीनें उपलब्ध ही नहीं करा रही है.
ग्वालियर जिले में सबसे ज्यादा धान की खेती डबरा और भितरवार इलाके में होती है. यहां के किसानों ने अपनी समस्याओं व समाधान के लिए भारतीय किसान यूनियन टिकैत और संयुक्त किसान मोर्चा किसान संगठन की बैठक डबरा के खेड़ापति हनुमान मंदिर पर की. बैठक में मध्य प्रदेश के किसानों को हो रही विभिन्न संकटों को लेकर चर्चा की गई. हालांकि, बैठक में अतिवृष्टि, खाद संकट, बिजली की अघोषित कटौती, भूमि अधिग्रहण आदि समस्याओं पर चर्चा हुई, लेकिन मुख्य रूप से धान की पराली जलाने पर विस्तार से चर्चा की गई. इसे लेकर पिछले साल किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग भी ज्ञापन में रखी गई.
किसानों का कहना है कि कटाई शुरू हो चुकी है. अगर पराली जलाई तो पुलिस केस बना देती है और प्रशासन जुर्माना लगा देता है. जबकि सरकार पंजाब की तरह पराली को खत्म करने वाली एक भी मशीन हमें उपलब्ध नहीं करा रही.
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