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26 मौतें देखीं, फिर भी नहीं डरे: कौन हैं ये 2 कुख्यात नक्सली, जिन्होंने पूना मोद्दोल के आगे टेके घुटने

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में 5-5 लाख के इनामी दो कुख्यात नक्सलियों संतोष उर्फ लाल पवन और मंजू उर्फ नंदे ने ‘पूना मोद्दोल’ पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण किया. दोनों 20 से अधिक वर्षों से माओवादी संगठन में सक्रिय थे और 7 बड़ी हिंसक घटनाओं में शामिल रहे. वर्ष 2025 में अब तक गरियाबंद में 20 और पूरे राज्य में 32 नक्सली मुख्यधारा में लौट चुके हैं.

26 मौतें देखीं, फिर भी नहीं डरे: कौन हैं ये 2 कुख्यात नक्सली, जिन्होंने पूना मोद्दोल के आगे टेके घुटने

Naxals Surrender in Chhattisgarh:  छत्तीसगढ़ के गरियाबंद नक्सल मोर्चे पर गरियाबंद पुलिस की मानवीय रणनीति ने एक बार फिर आतंक पर विश्वास की जीत दर्ज की है. राज्य सरकार की ‘पूना मोद्दोल (नई शुरुआत) पुनर्वास नीति' से प्रभावित होकर दो कुख्यात और 5-5 लाख रुपये के इनामी नक्सलियों ने गरियाबंद के उप पुलिस अधीक्षक (नक्सल) धीरेंद्र पटेल और जितेंद्र चंद्रकार के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया.

आत्मसमर्पण करने वाले दोनों नक्सलियों का अतीत बेहद हिंसक रहा है. ये उन प्रमुख मुठभेड़ों में शामिल रहे हैं, जिनमें कुल 26 माओवादी मारे गए थे. आत्मसमर्पण करने वालों की पहचान संतोष उर्फ लाल पवन (एसडीके एरिया कमेटी सदस्य) और मंजू उर्फ नंदे (सीनापाली एरिया कमेटी सदस्य) के रूप में हुई है.

संतोष पिछले 20 साल और मंजू पिछले 23 साल से माओवादियों के डीजीएन डिवीजन में सक्रिय थे. पुलिस की ‘पूना मोद्दोल' यानी नया सवेरा पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर दोनों ने हिंसा का रास्ता छोड़ने का फैसला किया.

7 बड़ी हिंसक वारदातों में रहे शामिल

डीजीएन डिवीजन में सक्रिय रहते हुए संतोष और मंजू कुल 7 बड़ी हिंसक घटनाओं में शामिल रहे, जिनमें कई पुलिसकर्मियों की शहादत हुई और बड़े माओवादी कमांडर मारे गए. आत्मसमर्पण के बाद दोनों ने अपने बचे हुए साथियों से भी माओवादी संगठन छोड़कर शांति और विकास के रास्ते पर लौटने की अपील की.

उन्होंने कहा कि पुलिस की पुनर्वास नीति उन्हें एक सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन प्रदान कर सकती है. राज्य की पुनर्वास नीति के तहत 5-5 लाख रुपये के इनामी नक्सलियों को नकद प्रोत्साहन राशि, कानूनी सहायता और कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाएगा.

इस आत्मसमर्पण के साथ ही साल 2025 में गरियाबंद जिले में अब तक 20 नक्सली और पूरे राज्य में 32 नक्सली मुख्यधारा में लौट चुके हैं.

इन घटनाओं में थे शामिल

  • मई 2018: ग्राम आमामोरा में जनदर्शन शिविर से पूर्व पुलिस पार्टी पर IED ब्लास्ट, 2 पुलिसकर्मी शहीद.
  • अगस्त 2021: ग्राम देवझर अमली में भैंसागार्डन तोड़फोड़ कर IED ब्लास्ट.
  • अगस्त 2021: अमलीपदर जाने वाली पक्की सड़क पर पेड़ काटकर IED लगाया.
  • दिसंबर 2021: ग्राम पीपलखुंटा में एनीकेट निर्माण कार्य में लगे वाहनों को आग के हवाले किया.
  • 31 जुलाई 2023: सीसी गणेश चलपति की मौजूदगी में ग्राम बेसराझर पहाड़ी मुठभेड़ में शामिल.
  • 20-21 जनवरी 2025: ग्राम बेसराझर मुठभेड़, जिसमें सीसी-चलपति, एसजेडसी-सत्यम, गुड्डू, आलोक समेत कुल 16 माओवादी मारे गए.
  • 11 सितंबर 2025: ग्राम मेटाल मुठभेड़, जिसमें सीसी-मनोज, एसजेडसी-प्रमोद उर्फ पांडु और ओडिशा स्टेट कमेटी सदस्य विमल समेत कुल 10 माओवादी मारे गए.

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