
Latest News in Hindi: इस समय देश आतंकियों को समूल नष्ट करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) चलाया जा रहा है. इससे बौखलाया पाकिस्तान (Pakistan) हमारी सीमा पर अंधाधुंध हमले कर रहा हैं. ग्वालियर (Gwalior) अपने रक्षा ठिकानों के कारण अत्यंत संवेदनशील बना हुआ है और यहां ख़ास सुरक्षा की तैयारियां जारी हैं. हर तरह की विषम से विषम आपात स्थिति से निपटने की तैयारियां की जा रही हैं. देश में संभवतः पहला मौका हैं, जिसमें अफसरों को जैविक और रासायनिक हमले के हालातों से बचने और लोगों को बचाने की बारिकियां सिखाई जा रही हैं. यह काम खुद डीआरडीई के वैज्ञानिक कर रहे हैं.

अधिकारियों को दी गई खास ट्रेनिंग
जिला प्रशासन, पुलिस एवं अन्य विभागों के अधिकारियों ने डीआरडीई (DRDE) में रासायनिक एवं जैविक हथियारों से बचने एवं दूसरों को बचाने की बारीकियां सीखीं. कलेक्टर रुचिका चौहान, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह एवं डीआरडीई के निदेशक डॉ. मनमोहन परीडा की मौजूदगी में आयोजित हुए प्रशिक्षण में डीआरडीई के वैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रकार के रासायनिक एवं जैविक एजेंट से बचने के उपाय बताए. यह प्रशिक्षण कार्यक्रम दो चरणों में आयोजित हुआ.

किन बारिकियों की दी गई ट्रेनिंग
प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि अगर कहीं रासायनिक एवं जैविक हमला हुआ हो, तो मुंह पर गीला रूमाल या कपड़ा बांधकर हवा के विपरीत दिशा से निकलना चाहिए. इसके बाद सुरक्षित स्थान पर पहुंचकर साबुन लगाकर अच्छी तरह मुंह-हाथ धोकर नहा लेना चाहिए. मुल्तानी मिट्टी व राख से हाथ व शरीर की सफाई भी अत्यंत कारगर रहती है. प्रशिक्षण में न्यूक्लियर रेडियो एक्टिव, बायोलॉजिकल और कैमिकल वैरिएंट के प्रकार एवं इनके असर को कम करने के उपायों पर प्रकाश डाला गया.

अधिकारियों को दी गई खास ट्रेनिंग
वैज्ञानिकों ने दी जानकारी
डीआरडीई की वैज्ञानिक डॉ. मनीषा साठे ने विभिन्न प्रकार के रासायनिक वैरिएंट के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि शरीर पर कौन से कैमिकल के किस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं और इनसे कैसे बचा जा सकता है. डॉ. साठे ने बताया कि पाउडर, गैस व एरोसोल फॉर्म में कैमिकल हो सकते हैं.
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डीआरडीई के वैज्ञानिक डॉ. रामकुमार धाकड़ ने विभिन्न प्रकार के जैविक वैरिएंट पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि कैमिकल व जैविक वैरिएंट का आभास होने पर मुँह पर गीला कपड़ा बाँधें और तत्काल हवा के विपरीत दिशा से बाहर निकलें. बहुत ही कम मात्रा का रसायन व जैविक वैरिएंट बड़ी क्षति पहुंचा सकते हैं. प्रोपर किट (कपड़े) पहने बगैर कैमिकल जैविक वैरिएंट फैलने पर वहां नहीं जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम खुद सुरक्षित रहकर ही दूसरों की रक्षा कर सकते हैं.
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