Chhatarpur News : मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के एक गांव में आज भी छुआछूत और ऊंच-नीच की पुरानी प्रथाएं जिंदा हैं, जो अब भी दलित परिवारों के लिए परेशानी का कारण बन रही हैं. ताजा मामला सटई थाने के अतरार गांव का है, जहां एक दलित व्यक्ति ने हनुमान मंदिर में पुजारी के माध्यम से प्रसाद चढ़वाया और फिर उसे गांव के कुछ लोगों में बांट दिया. इसके बाद गांव के सरपंच संतोष तिवारी ने इस बात का पता चलते ही दलित परिवार और प्रसाद खाने वाले पांच लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया. मामले में गांववालों का आरोप है कि सरपंच के आदेश के बाद उन्हें किसी भी सामाजिक कार्यक्रम जैसे शादी, तेरहवीं या चौक में बुलाया नहीं जा रहा है. इससे उन्हें मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है. पीड़ित दलित परिवार ने इस मामले की शिकायत एसपी से की है और उचित कार्रवाई की मांग की है. पुलिस मामले की जांच कर रही है और कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है.
गांव से किया गया दलित का बहिष्कार
पीड़ित व्यक्ति जगत अहिरवार ने बताया कि उन्होंने 20 अगस्त को मंदिर में पुजारी से प्रसाद चढ़वाया था, जिसके बाद उनका बहिष्कार किया गया. इसके साथ ही, गांव के लगभग 20 लोग जो प्रसाद खा चुके थे, उनका भी सामाजिक बहिष्कार किया गया है. जगत ने यह भी बताया कि क्योंकि वे दलित समाज से आते हैं, इसलिए यह सब छुआछूत की प्रथा के कारण हो रहा है.
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एक अन्य पीड़ित राजू कुशवाहा ने भी बताया कि उनका भी बहिष्कार किया गया क्योंकि उन्होंने दलित परिवार का प्रसाद खाया था. अब उन्हें भी गांव में कोई नहीं बुलाता.
मामले में क्या बोले आरोपी सरपंच
वहीं, गांव के सरपंच संतोष तिवारी का कहना है कि ये सब चुनावी रंजिश की वजह से हो रहा है क्योंकि जगत अहिरवार ने पिछले चुनाव में उनसे चुनाव लड़ा था और हार गए थे. इसलिए, वे आरोप लगा रहे हैं. छतरपुर जिले के बिजावर SDOP शाशंकर जैन ने कहा कि उन्हें इस मामले का आवेदन मिला है और यह मामला गंभीर है. उन्होंने कहा कि जांच की जा रही है और उचित कार्रवाई की जाएगी.