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ग्राउंड रिपोर्ट : करोड़ों खर्च कर बने CM संजीवनी क्लीनिक, मरीजों की नब्ज देखने वाला एक डॉक्टर तक नहीं

Satna Ground Report : सतना में ढाई करोड़ रुपए खर्च कर सीएम संजीवनी क्लीनिक बनाए गए हैं लेकिन इन क्लीनिक पर डॉक्टर तो दूर मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं. इन केंद्रों के ताले सपोर्ट स्टाफ के भरोसे खुलते और बंद होते हैं.

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ग्राउंड रिपोर्ट : करोड़ों खर्च कर बने CM संजीवनी क्लीनिक, मरीजों की नब्ज देखने वाला एक डॉक्टर तक नहीं
सतना में सीएम संजीवनी क्लीनिक का बुरा हाल

Satna Sanjeevani Clinic: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के अंर्तगत सतना शहर में सीएम संजीवनी क्लीनिक की स्थापना की गई ताकि आसपास के लोगों को उनके घर के पास ही इलाज की सुविधा मिल सके. इसी तारतम्य में नगर निगम क्षेत्र सतना में लगभग ढाई करोड़ की लागत से दस सीएम संजीवनी क्लीनिक बनाए गए. रिकॉर्ड में सभी केन्द्र स्वास्थ्य विभाग के हैंडओवर हैं और केन्द्रों का संचालन भी हो रहा है. लेकिन जब इस मामले में एनडीटीवी ने संजीवनी क्लीनिक की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. 

शहर के अमौधा, बगहा और महदेवा केन्द्र में एक डॉक्टर तक नहीं मिला. अमौधा में कोई डॉक्टर पदस्थ ही नहीं है. बगहा में पोस्टिंग के बाद भी डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं आए. महदेवा में भी पोस्टिंग है लेकिन डॉक्टर कभी कभार ही पहुंचते हैं. कुल मिलाकर संजीवनी क्लीनिक के ताले सपोर्ट स्टाफ के बलबूते खुलते हैं और बंद हो जाते हैं. यहां मरीजों की नब्ज देखने के लिए कोई डॉक्टर नहीं है. एकाध जगह पैरामेडिकल स्टाफ कुछ दवाई देकर ओपीडी की औपचारिकता पूरी कर लेते हैं.

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सपोर्ट स्टाफ के भरोसे संजीवनी क्लीनिक

स्वास्थ्य विभाग की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार सतना में कुल दस क्लीनिक संचालित हैं, जिनके प्रभारी डॉ चरण सिंह हैं. केन्द्रों पर दवाइयां भेज दी गई हैं जो कहीं रैक में रखी हुई हैं तो कहीं जमीन पर बिखरी हुई हैं. ओपीडी के नाम पर मरीजों का कहीं पता नहीं है. अमौधा में ड्यूटी पर मौजूद नर्सिंग स्टाफ जितेन्द्र कुशवाहा ने बताया कि कुल चार मरीजों को दवाइयां दी हैं. वहीं बगहा में कोई मरीज भी नहीं पहुंचा. एक महिला आई भी तो उन्हें दवा देने वाला कोई नहीं था. महदेवा केन्द्र का भी यही हाल था जहां सिर्फ सपोर्ट स्टाफ मौजूद था. 

कौन कर रहा है धोखा?

बताया जाता है कि संजीवनी क्लीनिक में एनएम, पैथालॉजिस्ट, डॉक्टर और नर्सिंग स्टॉफ की पोस्टिंग की जानी थी. कुछ केन्द्रों में भर्ती की गई लेकिन ड्यूटी केवल ऑपरेटर और सपोर्ट स्टाफ को मिली. इन पर विभाग लाखों रुपए का वेतन हर महीने खर्च कर रहा है लेकिन मरीजों को दवाइयां कौन देगा? उनको जांच कौन लिखेगा? प्रसव से पहले क्या सावधानियां रखनी हैं यह बताने के लिए कोई स्टाफ नहीं दिया गया. ऐसे में संजीवनी क्लीनिक के नाम पर यह धोखा कौन कर रहा है? क्या राज्य सरकार ने केवल वाहवाही के लिए इस प्रकार की व्यवस्था बनाई है.

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क्या बोले जिम्मेदार?

संजीवनी क्लीनिक के मनमाना संचालन को लेकर जब इस मामले में जिले के सीएमएचओ डॉ एलके तिवारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि केन्द्रों का संपूर्ण संचालन नहीं हो पा रहा है. चूंकि अभी तक डॉक्टर और अन्य स्टाफ की पोस्टिंग नहीं हो पाई. इसके लिए डिमांड राज्य शासन को भेजी गई है. अब हम तैयारी कर रहे हैं कि यहां अल्टरनेट डे पर डॉक्टरों को बिठाकर शुरुआत की जाए. जैसे ही नियमित पोस्टिंग होगी वैसे ही सुचारु रूप से संचालन करेंगे.

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