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ग्राउंड रिपोर्ट : करोड़ों खर्च, दिनभर की मेहनत और चुल्लू भर पानी... जीवन का 'मिशन' बना 'जल'

ग्राम पंचायत मझगवां की सरपंच सम्पतिया बाई हैं, जिनका कामकाज उनके पति दद्दा ही देखते हैं. एनडीटीवी ने जब इस मामले में बात की तो उन्होंने कहा कि पंचायत द्वारा बोरिंग कराकर सबमर्सिबल डाली गई है जिससे पानी मिलता है. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि जब बिजली नहीं होती तो ग्रामीण पानी के लिए परेशान होते हैं.

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ग्राउंड रिपोर्ट : करोड़ों खर्च, दिनभर की मेहनत और चुल्लू भर पानी... जीवन का 'मिशन' बना 'जल'
जल संकट से जूझ रहे सतना के लोग

Satna Jal Jeevan Mission: सरकार का दावा है कि 'जल जीवन मिशन' के तहत शुद्ध और साफ पानी नल कनेक्शन के माध्यम से पहुंच रहा है जबकि जमीनी हकीकत ठीक इसके विपरीत देखने को मिल रही है. सतना जिले के आदिवासी बहुल इलाके मझगवां विकासखंड के रामपुरवा गोडान के लोगों के जीवन का 'मिशन' ही 'जल' बन गया है. यहां पर रहने वाले लगभग ढाई सौ परिवार की पेयजल आपूर्ति का बोझ दशकों पुराने एक कुएं पर है, जिसका एकमात्र जल स्रोत बचा है. 

इस स्रोत से बड़ी मुश्किल से एक दिन के पानी का प्रबंध हो पा रहा है. पंचायत का नल है जिसमें सबमर्सिबल पम्प डाल दिया गया है. जंगली इलाका होने के कारण बिजली का कोई भरोसा नहीं रहता. ऐसे में रामपुरवा के सभी परिवार अपने एक सदस्य को कुएं से पानी निकालने के काम में लगा देते हैं. कुछ परिवार तो रात से लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं. चूंकि बाल्टी डालने के बाद भी चुल्लू भर पानी ही निकलता है. ऐसे में दिन रात लोगों के सामने पानी का प्रबंध बड़ा काम बना रहता है. 

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करोड़ों खर्च लेकिन सिर्फ शोपीस बने पाइप

ग्रामीण जनों द्वारा जानकारी दी गई कि रामपुरवा गोडान ग्राम पंचायत मझगवां का हिस्सा है. इस पंचायत में जल जीवन मिशन के अंतर्गत स्वीकृत रेट्रोफिटिंग का काम हुआ है. कार्य एजेंसी के द्वारा इसी पंचायत के भट्ठन टोला में नल कनेक्शन दिए गए हैं लेकिन वहां भी पानी नहीं पहुंचा. जबकि इस गांव तक पाइप लाइन और नल कनेक्शन भी नहीं दिए गए. मझगवां जनपद पंचायत की सबसे नजदीक ग्राम पंचायत मझगवां है, जिसके लिए करोड़ों खर्च कर प्रोजेक्ट पूरा किया गया. कहीं पाइप शोपीस हैं जबकि कहीं लाइन ही नहीं पहुंची. जब मुख्यालय की पंचायत की ऐसी दुर्दशा है तो अन्य पंचायत के हाल क्या होंगे अंदाजा लगाया जा सकता है.

क्या कहते हैं आंकड़े?

यदि जल जीवन मिशन का काम देखने वाली एजेंसी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सरकारी आंकड़ों की बात करें तो मझगवां ब्लॉक में कुल 44 काम स्वीकृत हुए, जिसमें से 20,108 घरों को कनेक्शन दिए गए. जबकि प्रारंभ हो चुकी 42 योजनाओं से 18,667 कनेक्शन प्रस्तावित हैं जबकि 3049 कनेक्शन दिया जाना शेष है. ग्रामीणों की मानें तो आंकड़े भले पानी मिलने का दावा करें लेकिन स्थिति बेहद भयावह है. आजाद भारत की ऐसी शर्मनाक तस्वीरों को देखकर जिम्मेदार अधिकारियों की सक्रियता पर घिन आती है.

बच्चे और शिक्षक पानी के लिए लगाते हैं गुहार

मझगवां के रामपुरवा गोडान के बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने विद्यालय खोल दिया. यहां पर शिक्षक भी पदस्थ हैं लेकिन जब इन बच्चों को और शिक्षकों को पानी की जरूरत होती है तब या तो उन्हें लोगों के घरों में पानी की गुहार लगानी पड़ती है या फिर दो किमी दूर से पानी का प्रबंध करना पड़ता है. बताते हैं कि रेल लाइन पार कर छोटे बच्चे पानी लेने जाने को विवश हैं. 

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दम तोड़ चुका है 'जलाभिषेक अभियान'

ग्राम पंचायत मझगवां की सरपंच सम्पतिया बाई हैं, जिनका कामकाज उनके पति दद्दा ही देखते हैं. एनडीटीवी ने जब इस मामले में बात की तो उन्होंने कहा कि पंचायत द्वारा बोरिंग कराकर सबमर्सिबल डाली गई है जिससे पानी मिलता है. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि जब बिजली नहीं होती तो ग्रामीण पानी के लिए परेशान होते हैं.

दो साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जलाभिषेक अभियान की शुरुआत की थी. इसके तहत सभी जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने की कार्ययोजना तैयार कर काम किया जाना था. रामपुरवा के एक मात्र जल स्रोत कुएं की दुर्दशा देख कर कोई भी समझ सकता है कि यहां जलाभिषेक अभियान दम तोड़ चुका है.

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