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फेल होती जा रही सीएम हेल्पलाइन योजना,106 विभागों की 12527 शिकायतें पेंडिंग, नहीं हो रही सुनवाई

MP News: मध्य प्रदेश में सीएम हेल्पलाइन का बुरा हाल है. हेल्पलाइन में की गई शिकायतों का निपटारा नहीं होने से विभागों की हालत खस्ता होती जा रही है.

फेल होती जा रही सीएम हेल्पलाइन योजना,106 विभागों की 12527 शिकायतें पेंडिंग, नहीं हो रही सुनवाई
प्रतीकात्मक फोटो

CM Helpline in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार (Shivraj Government) ने आमजन की समस्या को सुलझाने के लिए सीएम हेल्पलाइन योजना (CM Help Line) की शुरुआत की थी. योजना शुरू करने के पीछे सरकार (MP Government) का मकसद था कि आमजन की समस्या और शिकायत सीधे सीएम हेल्पलाइन तक पहुंचे, जहां से उनका निराकरण जल्द से जल्द किया जा सके. लेकिन, अब प्रदेश में शिवराज सरकार के जाने के बाद मोहन सरकार (Mohan Yadav Government) में सीएम हेल्पलाइन योजना कछुआ चाल चलती नजर आ रही है. अब सीएम हेल्पलाइन योजना में होने वाली हजारों शिकायतें ठंडे बस्ते में चली गई हैं. इनमें सबसे ज्यादा शिकायतें महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Welfare Department) की है.

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21 महीने से रसोइए को नहीं मिला वेतन

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित आंगनबाड़ी में रसोई का काम करने वाले कर्मचारियों को करीब 21 महीनों से वेतन नहीं मिला है. इसके अलावा महिला एवं बाल विकास विभाग में अनुकंपा भर्ती और नई भर्ती भी नहीं हो सकी है. लाडली लक्ष्मी योजना के लिए नए रजिस्ट्रेशन नहीं हो सके हैं. इस तरह की अनेकों शिकायतें सीएम हेल्प लाइन योजना में दर्ज की गई हैं, जिनका निराकरण नहीं हो सका है. अब इन कर्मचारियों ने कलेक्टर से गुहार लगाकर जल्द निराकरण की मांग की है.

इस विभाग की 2954 शिकायतें ठंडे बस्ते में गई

जिन विभागों में सबसे ज्यादा शिकायतें पेंडिंग हैं, उस मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग अव्वल है. महिला एवं बाल विकास विभाग में करीब 2954 शिकायतें पेंडिंग हैं. ये शिकायतें करीब एक साल से पेंडिंग में चल रही हैं. शिकायतों को लेकर अब अधिकारियों ने एक प्रतिवेदन मांगा है. एल 1 के अधिकारी अब शिकायतों की जांच कर पेंडिंग शिकायतों का निराकरण करेंगे.

महीनो से नहीं मिल रहा आंगनबाड़िओं को राशन

विदिशा जिले की नटेरन तहसील और ग्राम वर्धा जैसे आंगनवाड़ी केंद्रों से कई महीनों से राशन उपलब्ध नहीं है. इसकी शिकायत पांच महीने पहले सीएम हेल्पलाइन पर की जा चुकी है. लेकिन, अभी तक इन शिकायतों का निपटारा नहीं हुआ है. बजट नहीं आने के चलते निजी राशन के दुकानदारों ने राशन बंद कर दिया है. ऐसे में ये आंगनबाड़ी केंद्र पोषण कैसे बांटें? इसके अलावा जिले भर की कई आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं, जहां राशन के चलते आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति खराब है.

जिले में बढ़ रहा कुपोषण

जिले भर में कुपोषण के शिकार लोगों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है. इसका सबसे बड़ा कारण लोगों को पोषित आहार का न मिलना है. विदिशा के ग्रामीण अंचलों की आंगनबाड़ी केंद्रों में कुपोषण खत्म करने के लिए पोषण आहार नहीं बंट पा रहा है. एक तरफ सरकार कह रही है कुपोषण मिटाना है. वही विभाग का कहना है कि बजट नहीं है. 

एक्शन मूड में दिखे राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष

वहीं राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष को जब उनके गृह जिले में कुपोषण की बढ़ती संख्या की खबर मिली तो आनन-फानन में आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण करने पहुंचे. सुबह के समय आंगनबाड़ी बंद मिले तो नेता जी भड़क गए और आंगनबाड़ी का पंचनामा बनाकर उस पर कार्रवाई की मांग कर डाली. इस दौरान बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने एक भी बार महिला एवं बाल विकास विभाग के बजट की चिंता नहीं की. जिले की स्थिति को देखते हुए सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब आंगनबाड़ी केंद्रों में राशन ही नहीं है तो पोषण कैसे मिलेगा?

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