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CM मोहन यादव का सख्त निर्देश, नर्मदा नदी के आसपास बंद हो मांस-मदिरा का उपयोग

CM Dr Mohan Yadav: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश की जीवनदायनी मां नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक का प्रबंधन पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए अमरकंटक विकास प्राधिकरण के माध्यम से किया जाए. भविष्य में होने वाली बसाहटों के लिए नर्मदा नदी के उद्गम स्थल से दूर भूमि चिन्हित कर सैटेलाइट सिटी विकसित की जाए.

CM मोहन यादव का सख्त निर्देश, नर्मदा नदी के आसपास बंद हो मांस-मदिरा का उपयोग

Narmada River in Madhya Pradesh: नर्मदा नदी (Narmada River) के जल (Water Of Narmada River) को निर्मल तथा अविरल प्रवाह मान बनाए रखने के लिए कार्य योजना बनाने के उद्देश्य से सुशासन भवन में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने कहा कि पुण्य सलिता माँ नर्मदा प्रदेशवासियों के‍ लिए श्रद्धा, विश्वास और आस्था का केन्द्र है. यह केवल नदी नहीं, हमारी सांस्कृतिक धरोहर है. उपभोक्ता आधारित जीवनशैली में प्रकृति और पर्यावरण को जो नुकसान पहुंचाया है, उसके दुष्प्रभावों से नदियों और अन्य जल स्त्रोतों को बचाना आवश्यक है. राज्य सरकार (Madhya Pradesh Government) ने मां नर्मदा के समग्र विकास का संकल्प लिया है और इस दिशा में निरंतर गतिविधियां जारी हैं.

सीवेज बंद करें, मांस-मदिरा का उपयोग न हो : CM

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश की जीवनदायनी मां नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक का प्रबंधन पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए अमरकंटक विकास प्राधिकरण के माध्यम से किया जाए. भविष्य में होने वाली बसाहटों के लिए नर्मदा नदी के उद्गम स्थल से दूर भूमि चिन्हित कर सैटेलाइट सिटी विकसित की जाए. यह सुनिश्चित हो कि मां नर्मदा के प्राकट्य स्थल अमरकंटक से लेकर प्रदेश की सीमा तक किसी भी बसाहट का सीवेज नर्मदा नदी में नहीं मिले, इसके लिए समय-सीमा निर्धारित कर कार्य किया जाए. ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग हो.

पर्यावरण संरक्षण के लिए नर्मदा जी के आसपास चलने वाली गतिविधियों पर सैटेलाइट इमेजरी व ड्रोन टेक्नोलॉजी के माध्यम से भी नजर रखी जाए. यह भी सुनिश्चित किया जाए की नर्मदा नदी के तट पर बसे धार्मिक नगरों में और धार्मिक स्थलों व उनके आसपास मांस-मदिरा का उपयोग नहीं हो. उन्होंने नदी में मशीनों से खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए.

विभिन्न शासकीय विभागों के साथ स्वयंसेवी संगठनों, आध्यात्मिक मंचों और जनसामान्य की सक्रिय सहभागिता से नर्मदा संरक्षण, संवर्धन की योजना का आधुनिकतम तकनीक और संसाधनों का उपयोग करते हुए क्रियान्वयन किया जाएगा. सीएम यादव ने ओंकारेश्वर स्थित ममलेश्वर मंदिर के उन्नयन के लिए कार्ययोजना बनाने और इस संबंध में केन्द्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से चर्चा के निर्देश भी दिए.

यह भी निर्देश दिए गए

  • नर्मदा नदी के दोनों ओर विद्यमान जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र में साल और सागौन के पौधरोपण और जड़ी-बूटियों की खेती को प्रोत्साहित किया जाए.
  • समृद्ध बॉयोडायवर्सिटी के संरक्षण व प्रोत्साहन गतिविधियों में वनस्पति शास्त्र और प्राणी शास्त्र के विशेषज्ञों को जोड़ते हुए गतिविधियां संचालित की जाएं.
  • नदी के दोनों ओर पांच किलोमीटर तक प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जाए.

होम स्टे जैसी सुविधाओं से बढ़ाएं रोजगार

सीएम मोहन यादव ने कहा कि जीआईएस व ड्रोन सर्वे के माध्यम से नर्मदा नदी के दोनों ओर के विस्तार का चिन्हांकन कर क्षेत्र के संरक्षण के लिए विभिन्न विभागों द्वारा समन्वित रूप से योजना तैयार की जाए. विश्व की यह एकमात्र नदी है, जिसकी परिक्रमा की जाती है. अत: परिक्रमा को प्रमुख धार्मिक और पर्यटन गतिविधि के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से परिक्रमा करने वालों की सुविधा के लिए परिक्रमा पथ विकसित करने की दिशा में चरणबद्ध रूप से कार्य किया जाए. परिक्रमा पथ पर स्थानों को चिन्हांकित कर स्थानीय पंचायतों और समितियों के माध्यम से इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास की दिशा में गतिविधियां आरंभ की जाएं. इसके साथ ही परिक्रमा करने वालों के आवास व भोजन आदि की व्यवस्था के लिए स्व-सहायता समूहों और स्थानीय युवाआ को होम स्टे विकसित करने के लिए प्रेरित किया जाए. परिक्रमा पथ पर साईन बोर्ड स्थापित करने के साथ स्थानीय स्तर पर इन्फॉरमेंशन सेंटर विकसित किए जाएं. इससे युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी.

ऐसी है एमपी में नर्मदा

अमरकंटक से आंरभ होकर खम्बात की खाड़ी में मिलने वाली 1312 किलोमीटर लंबी नर्मदा नदी की मध्यप्रदेश में लंबाई 1079 किलोमीटर है. नर्मदा जी के किनारे 21 जिले, 68 तहसीलें, 1138 ग्राम और 1126 घाट हैं. नर्मदा किनारे 430 प्राचीन शिव मंदिर और दो शक्तिपीठ विद्यमान है.

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