MP News In Hindi : मध्य प्रदेश के रीवा में जमीन में हेराफेरी का खेल लंबे समय से खेला जा रहा था, ऐसा ही एक खेल पकड़ा है रीवा तहसीलदार शिव शंकर तिवारी ने. दरअसल, शिव शंकर तिवारी के पास एक मामला आया था. सरकारी जमीन का, जो किसी जमाने में रमाशंकर तिवारी नाम के व्यक्ति की थी, जिसे 1970 में सरकार ने सीलिंग एक्ट जब लागू किया था, तब निर्धारित किया था. एक व्यक्ति के पास कितनी जमीन हो सकती है. रमाशंकर तिवारी के पास जमीन ज्यादा थी, जिसके चलते उनकी जमीन सीलिंग के तहत सरकारी कर दी गई थी.
जमीन का नामांतरण कराने के लिए बनाया था ये प्लान
अब इस जमीन को रमाशंकर तिवारी एक बार फिर अपने नाम करना चाहते थे, जिसके चलते उन्होंने एसडीएम के रीडर की मदद ली. 29 जुलाई 2022 को तत्कालीन एसडीम अनुराग तिवारी के कूटरचित हस्ताक्षर से, उनके रीडर बृजमोहन पटेल और वर्तमान में मनीष अवस्थी के द्वारा एक आदेश पारित किया गया. जमीन रमाशंकर तिवारी के नाम की जाती है. जब एसडीएम की अदालत से यह फाइल तहसीलदार शिव शंकर के पास पहुंची, रमाशंकर तिवारी के नाम जमीन का नामांतरण करने के लिए.
हस्ताक्षर में कुछ गड़बड़ी नजर आई
तहसीलदार शिव शंकर ने फाइल पर जैसे ही नजर डाली, उन्हें एसडीएम अनुराग तिवारी के हस्ताक्षर में कुछ गड़बड़ी नजर आई, क्योंकि वह एसडीएम अनुराग तिवारी के हस्ताक्षर रोज ही देखा करते थे, इसलिए उन्होंने इसे तत्काल ही पकड़ लिया. उन्होंने तत्काल ही इस बात की जानकारी वर्तमान एसडीएम वैशाली तिवारी को दी, अनुराग तिवारी वर्तमान में रीवा जिले में ही पदस्थ है, जिसके चलते फर्जी हस्ताक्षर वाली फाइल एक बार अनुराग तिवारी को दिखाई गई.
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जांच के बाद सच आया सामने
उन्होंने साफ तौर से इनकार किया. यह उनके हस्ताक्षर नहीं है. समाधान हो गया, अधिकारियों ने अपने स्तर पर जांच कराई, तो सच निकलकर सामने आ गया. सारा खेल रचा था, एसडीएम के रीडर बृजमोहन पटेल और वर्तमान रीडर मनीष अवस्थी ने, रमाशंकर तिवारी के साथ मिलकर. उस समय पदस्थ रहे हुजूर तहसील में एसडीएम अनुराग तिवारी ने रीवा के सिविल लाइन थाने पहुंचकर मामले को दर्ज कर दिया. पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए जांच कर कर कड़ी कार्रवाई की बात कही. हमने पूरे मामले को लेकर एडिशनल एसपी वी. के. लाल और तहसीलदार शिव शंकर से बात की.
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