Khargone Lok Sabha Seat Political History: मध्य प्रदेश का पश्चिमी निमाड़ (West Nimar) यानी कि खरगौन (Khargone), नर्मदा नदी (Narmada River) के तट पर बसा यह जिला अपनी अपार प्राकृतिक सुंदरता और विरासत के लिए जाना जाता है. जिले में महेश्वर (Maheshwar) जैसे बड़े पर्यटन स्थल हैं. निमाड़ क्षेत्र में बसे इस जिले की बोली भी निमाड़ी है. ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में आर्य और अनार्य सभ्यताओं के मिश्रण के चलते इस क्षेत्र को 'निमार्य' कहा गया. जो आगे चलकर 'निमार' और फिर 'निमाड़' के रूप में परिवर्तित हुआ. खरगौन, जो कि पश्चिम निमाड़ रूप में जाना जाता था, इसे 1998 में खरगौन (Khargone) और बड़वानी (Barwani) नाम के दो जिलों में विभाजित किया गया.
भारत के उत्तर व दक्षिण राज्यों को जोड़ने वाले प्राकृतिक मार्ग पर बसा यह क्षेत्र हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहा. इतिहास के विभिन्न कालखंडों में यह क्षेत्र महेश्वर के हैहय, मालवा के परमार, असीरगढ़ के अहीर, मांडू के मुस्लिम शासक, मुगल तथा पेशवा व अन्य मराठा सरदारों जैसे-होल्कर, शिंदे और पवार साम्राज्य का हिस्सा रहा.
खरगौन लोकसभा क्षेत्र की सियासत की बात करें तो, इस लोकसभा सीट को अनुसूचित जाति (ST) के लिए आरक्षित रखा गया. यहां पहला आम चुनाव 1962 में हुआ, जिसमें भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार ने जीत हासिल की. इसके 1967 के चुनाव में कांग्रेस और 1971 के चुनाव में फिर से भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी को जीत मिली. आपातकाल के बाद 1977 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार रामेश्वर पाटीदार ने जीत हासिल की. इसके बाद 1980 और 1984 के चुनाव में खरगौन की जनता ने अपना प्रतिनिधि कांग्रेस प्रत्याशी को चुना.
इसके बाद 1989 से 1998 तक इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रामेश्वर पाटीदार का दबदबा रहा. इस बीच पाटीदार लगातार चार बार (1989, 1991, 1996 और 1998) खरगौन से सांसद बने. 1999 के चुनाव में कांग्रेस से एक बार फिर इस सीट पर वापसी की और कांग्रेस प्रत्याशी ताराचंद पटेल यहां से सांसद बने. इसके बाद 2004 में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार कृष्ण मुरारी मोघे यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे. 2007 में लाभ के दोहरे पद के कारण मोघे को यह सीट छोड़नी पड़ी. जिसके बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अरुण यादव ने जीत हासिल की. हालांकि, कांग्रेस यह जीत आगे बरकरार नहीं रख पाई और 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के खाते में यह सीट चली गई. और अभी तक बीजेपी का दबदबा इस सीट पर कायम है.
2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी माखन सिंह सोलंकी यहां से सांसद बने. इसके बाद 2014 में बीजेपी प्रत्याशी सुभाष पटेल और 2019 में बीजेपी प्रत्याशी गजेंद्र पटेल खरगौन से सांसद बने. एक बार फिर बीजेपी ने गजेंद्र पटेल पर भरोसा जताते हुए उन्हें खरगौन से प्रत्याशी बनाया है.
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