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मोहन सरकार को कोर्ट से बड़ा झटका, आंगनबाड़ियों की भोजन व्यवस्था स्व सहायता समूहों से छीनने के आदेश पर किया स्टे

Madhya Pradesh Latest News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ से मोहन सरकार को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने राज्य महिला व बाल विकास डायरेक्टरेट के उस आदेश के अमल पर रोक लगा दी है, जिसमें प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में भोजन वितरण का काम स्व सहायता समूहों से छीनकर सहायिकाओं से कराने का निर्णय लिया गया था.

मोहन सरकार को कोर्ट से बड़ा झटका, आंगनबाड़ियों की भोजन व्यवस्था स्व सहायता समूहों से छीनने के आदेश पर किया स्टे

MP News in Hindi : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ से मोहन सरकार को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने राज्य महिला व बाल विकास डायरेक्टरेट के उस आदेश के अमल पर रोक लगा दी है, जिसमें प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में भोजन वितरण का काम स्व सहायता समूहों से छीनकर सहायिकाओं से कराने का निर्णय लिया गया था. यह पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रदेश के 15 जिलों में 15 अगस्त से लागू होना है, जिनमें मुरैना और दतिया जिला भी शामिल है. वहीं सरकार के आदेश के बाद स्व सहायता समूहों ने इस आदेश को कोर्ट में चुनौती दी थी. अब इस योजना के लागू होने पर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है.

12 जिलों में सहायिकाओं के माध्यम से किया जाएगा भोजन का वितरण

अभी मध्य प्रदेश में संचालित होने वाले आंगनवाड़ी केंद्रों में भोजन वितरण का जिम्मा स्वसहायता समूहों के जिम्मे है, लेकिन महिला व बाल विकास विभाग संचालनालय ने जुलाई के पहले सप्ताह में एक बड़े बदलाव का आदेश निकाला, जिसमें बताया गया कि मिशन सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण स्कीम के तहत मध्य प्रदेश के 12 जिलों में बतौर पायलट प्रोजेक्ट आंगनबाड़ी केंद्रों में सहायिकाओं के माध्यम से भोजन वितरण का काम कराया जाएगा. इसकी लॉन्चिंग स्वतंत्रता दिवस पर 15 अगस्त से होनी है.

स्वसहायता समूहों ने किया ग्वालियर खण्डपीठ का रुख

एमपी हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट एमपीएस रघुवंशी ने बताया कि इस आदेश के खिलाफ मुरैना जिले के 15 और दतिया जिले के 29 स्वसहायता समूहों ने एमपी हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ में याचिका दायर की गई थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि स्वसहायता समूहों में बेहद गरीब महिलाएं काम करती है. इसका मकसद इन महिलाओं को सशक्त करना भी है. ऐसे में स्वसहायता समूहों से भोजन वितरण का काम छीनने से इनसे जुड़ी महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

ग्वालियर खण्डपीठ ने 4 सप्ताह में मांगा जवाब

एडवोकेट रघुवंशी के तर्क से सहमति जताते हुए कोर्ट ने शासन के आदेश को लागू करने पर रोक लगाते हुए इस मामले में चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है.

हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ के इस स्थगन आदेश से शासन द्वारा 15 अगस्त से इस पायलट प्रोजेक्ट को लागू करने की तैयारी में जुटी सरकार के सामने असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है, क्योंकि इसी आदेश के सहारे बाकी जिलों के स्वसहायता समूह भी कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं. अगर उनको भी स्थगन मिल गया तो इसका क्रियान्वयन अटक सकता है.

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