
Bhopal Siren System: भारत पाकिस्तान के बीच तनाव के बीच मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हुई मॉक ड्रिल (Mock Drill) के दौरान सायरन सिस्टम खराब मिला है. अब इन्हें बदलने की कवायद शुरू हो गई है. यहां सायरन सिस्टम (Siren System) लगभग 54 वर्ष पुराना है. मॉक ड्रिल के दौरान कई सायरनों की आवाज बहुत जगहों पर सुनने को नहीं मिली थी.
युद्ध या आपात की स्थिति में बजने वाले इस सिस्टम का पूरा कंट्रोल प्रशासन के पास होगा. साल 1971 में हुए पाक युद्ध के समय भोपाल में सायरन सिस्टम लगाया गया था. भोपाल में मॉक ड्रिल की गई थी और उस दौरान एयर सायरन बजाया जाना था. जब सायरन बजाए गए तो सभी सायरन सही से नहीं बजे थे.
प्रमुख जगहों पर लगेंगे सायरन
अब इसे बदलने की तैयारी में प्रशासन जुट गया है. नया सिस्टम शहर के प्रमुख स्थानों और बाजारों में लगाया जाएगा. इस सिस्टम को कंट्रोल एंड कमांड सेंटर से जोड़ा जाएगा. इससे एक सेकंड में ही लोगों को इमरजेंसी की सूचना मिल जाएगी.
स्कूल और कॉलेज में स्टूडेंट्स को सायरन का मतलब और इसके व्यवहार की जानकारी भी दी जाएगी. मॉक ड्रिल के दौरान कई जगहों की लाइट भी बंद नहीं हुई थी. इस बारे में भी लोगों को सचेत किया जाएगा.
ग्वालियर के सभी वार्डों मे लगाए जाएंगे सायरन
कलेक्टर ग्वालियर ने बताया कि युद्ध की दृष्टि से ग्वालियर काफी संवेदनशील हैं. आपात स्थिति से निपटने के लिए शहर के सभी वार्डों में अलर्ट सायरन लगाए जाएंगे. यह निर्णय देर रात अफसरों की उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया. बैठक प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट के निर्देश पर की गई. इसमें निर्देश दिए गए कि ग्वालियर नगर निगम के सभी 66 वार्डों की मैपिंग कर ऐसे स्थान चयनित करें, जहां से पूरा शहर सायरन के दायरे में आ जाए.
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