विज्ञापन
This Article is From Mar 24, 2024

Bhind Lok Sabha Seat: पिछले 35 वर्षों से यहां है भाजपा का कब्जा, क्या इस बार बनेगा नया इतिहास ?

Bhind Lok Sabha Seat History: कांग्रेस ने पहली बार इस सीट पर 1980 जीत दर्ज की थी. इसके बाद एक बार फिर से कांग्रेस के कृष्ण सिंह जुदेव ने 1984 में जीत दर्ज की थी. इस बार उन्होंने भाजपा की राजकुमारी वसुंधरा राजे को मात देकर जीत दर्ज की थी. इसके बाद नसुंधरा कभी भी मध्य प्रदेश वापस लौट कर नहीं आई. वहीं, 1989 के बाद भाजपा यहां से लगातार जीत हासिल करती आ रही है. 

Bhind Lok Sabha Seat: पिछले 35 वर्षों से यहां है भाजपा का कब्जा, क्या इस बार बनेगा नया इतिहास ?

Lok Sabha Election: भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने देशभर के लिए लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है. इसके मुताबिक मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh ) में 4 चरणों में लोकसभा के चुनाव कराए जाएंगे. यहां पहला चरण 19 अप्रैल को, दूसरा चरण 26 अप्रैल को, तीसरा चरण 7 मई को और चौथा चरण 13 मई को होगा. यानी प्रदेश के अलग-अलग सीटों पर इन्हीं चार तारीखों के दौरान वोट डाले जाएंगे. भिंड लोकसभा सीट (Bhind Parliamentry Seat) पर 7 मई को वोटिंग होगी. आइए जानते हैं क्या है भिंड लोकसभा चुनाव का इतिहास (Hinstory of Bhind Lok Sabha Seat), साथ ही जानते हैं कि यहां किसका पलड़ा भारी है.

भाजपा का गढ़ है भिंड लोकसभा सीट

मध्य प्रदेश के भिंड और दतिया जिले में मौजूद भिंड लोकसभा सीट  पिछले 35 वर्षों से भाजपा का अभेद्य किला बना हुआ है. यहां 1989 के बाद भाजपा कभी नहीं हारी. वहीं, कांग्रेस को इस सीट पर हमेशा दूसरे स्थान रहा. यानी कांग्रेस यहां मुख्य विपक्षी दल तो है, लेकिन जीत पाने में लगातार नाकाम रही है. इस सीट से भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक विजयाराजे सिंधिया 1971 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई थी. लेकिन, 1984 में कांग्रेस की लहर में उनकी बेटी वसुंघरा हार गई थी. लेकिन, 1989 के बाद से लगातार यहां से भाजपा को मिल रही जीत को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि यहां भाजपा का पलड़ा भारी है.

Latest and Breaking News on NDTV

यहां से हारने के बाद फिर एमपी नहीं लौटी वसुंधरा

इस सीट से जुड़ी एक रोचक बात ये है कि राजस्थान की सीएम रह चुकी वसुंधरा राजे ने 1984 में यहां से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के फेवर में उपजी लहर में हार गई थी. राज परिवार के वसुंधरा को मात देने वाले कृष्ण सिंह जूदेव बेहद सामान्य पृष्ठभूमि से थे. उनकी खास बात ये थी कि वे चुनाव प्रचार में भावुक हो जाते थे. यही भावुकता उनके काम आई और वो चुनाव जीत गए. आपको बता दें कि जूदेव को वसुंधरा के भाई माधवराव सिंधिया राजनीति में लेकर आए थे.

Latest and Breaking News on NDTV

सिर्फ दो बार ही यहां से जीत पाई कांग्रेस

कांग्रेस ने पहली बार इस सीट पर 1980 में जीत दर्ज की थी. इसके बाद एक बार फिर से कांग्रेस के कृष्ण सिंह जुदेव ने 1984 में जीत दर्ज की थी. इस बार उन्होंने भाजपा की राजकुमारी वसुंधरा राजे को मात देकर जीत दर्ज की थी. इसके बाद नसुंधरा कभी भी मध्य प्रदेश की राजनीति में वापस लौट कर नहीं आई. वहीं, 1989 के बाद भाजपा यहां से लगातार जीत हासिल करती आ रही है. 

ये भी पढ़ेंः JDU Candidate List: शिवहर से लवली आनंद और मुंगेर से ललन सिंह... बिहार में JDU ने किया 16 उम्मीदवारों का ऐलान

ऐसा है जातीय समीकरण?

भिंड लोसकभा सीट पर तकरीबन तीन लाख क्षत्रिय, तीन लाख ब्राह्मण, डेढ़ लाख वैश्य हैं. वहीं, दलित वोटरों की संख्या तकरीबन साढ़े तीन लाख हैं. इसके अलावा, आदिवासी, अल्पसंख्यक और अन्य वोटरों की संख्या तकरीबन चार लाख अस्सी हजार के करीब है. वहीं, यहां  गुर्जर, कुशवाह, धाकड़, किरार, रावत समाज के भी तकरीबन 3 लाख के आस पास वोट हैं. हालांकि, इलाके में क्षत्रिय और दलित ही मुख्य वोटर माने जाते हैं. यहां सवर्ण जातियों के सबसे ज्यादा वोट हैं, जिसका सीधा असर यहां के वोट पैटर्न पर नजर आता है. 

ये भी पढ़ेंः सिंधिया के खिलाफ कांग्रेस ने नहीं उतारे उम्मीदवार, दिग्विजय सिंह की नहीं चली, अब लड़ना होगा चुनाव

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close