
श्योपुर के विजयपुर इलाके में करीब 5396 करोड़ की बड़ी लागत से बनने वाले चेंटीखेड़ा बांध परियोजना के डूब क्षेत्र में आने वाले विस्थापित तीन गांव के आदिवासी परिवारों ने सरकार से उपजाऊ जमीन के बदले उपजाऊ जमीन दिए जाने की मांग तेज कर दी है. विस्थापन को लेकर आदिवासी परिवार मिली हुई जमीन को बदलने जाने की मांग को लेकर श्योपुर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और करीब 250 आदिवासी परिवार के लोगों ने जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय में प्रदर्शन करते हुए घेराव करते हुए धरना शुरू कर दिया.
आदिवासी परिवारों की जीविका पर मंडराया खतरा
धरने पर बैठने वाले चेंटीखेंडा सिसपुरा दंगपूरा तीन गांव के विस्थापित सेहरिया आदिवासी समाज के लोगो का आरोप है कि चेंटीखेडा बांध परियोजना के डूब इलाके में आने वाले परिवारो की आजीविका पर असर पड़ेगा. इनका साधन उनकी उपजाऊ जमीन है जिस पर तीनों गांव के लोग खेती किसानी करके अपना जीवन व्यतीत करते रहे हैं. ऐसे में अब बांध के डूब क्षेत्र में आने के चलते जल संसाधन विभाग ने तीनों गांव को खाली करवाते हुए विस्थापित करने के लिए दूसरी जगह जमीन दी गई है. लेकिन वो ज़मीन बंजर और पथरीली है एसे में विस्थापित हुए लोगों बिना पानी की बंजर और पथरीली जमीन पर कैसे खेती करेंगे? ऐसे में उनके पास जीवन जीने का बढ़ा संकट खड़ा हो गया है. इसलिए सरकार चेंटीखेड बांध के विस्थापित आदिवासी परिवारों को दूसरी जगह समतल और उपजाऊ जमीन उपलब्ध करवाए. जहां तीनों गांव के लोग आसानी से विस्थापित होकर भूमि पर खेती किसानी करके फिर से अपना जीवन सुगम बनाते हुए अपने बच्चों का भरण पोषण कर सके.
मांगे पूरी न होने पर दी बड़े आंदोलन की धमकी
विस्थापित तीनो गांव के आदिवासी समाज ने रघुनाथपुर इलाके में उपजाऊ जमीन का चयन किया है कि जिसे सरकार से दिए जाने की मांग की जा रही है. जमीन बदलने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेड में धरने पर बैठे विस्थापित सेहरिया परिवार के लोगो से मिलने और बातचीत करने पहुंचे श्योपुर कलेक्टर संजय कुमार ने ग्रामीणों की समस्या सुनते हुए विस्थापित लोगों को जल्द ही जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से बैठक करते हुए दूसरी जमीन उपलब्ध करवाने का भरोसा दिया जिसके बाद धरने पर बैठे तीन गांव के करीब 250 विस्थापित परिवार के लोगो ने कलेक्ट्रेट परिसर से धरना खत्म किया और जमीन नहीं बदलने पर सरकार के खिलाफ आंदोलन पर उतरने की चेतावनी अफसरों को दी.
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