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81 आवेदनों की माला पहन 90 KM पैदल चला 79 वर्षीय बुजुर्ग, कलेक्टर से बोला-पहले गांव में स्कूल बनाओ

MP News: उज्जैन जिले के ग्राम भड़ला में स्कूल भवन न होने से परेशान 79 वर्षीय अंबाराम परमार 81 आवेदनों की माला पहनकर 90 किलोमीटर पैदल कलेक्टर कार्यालय पहुंचे. गांव में 13 वर्षों से बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं.

81 आवेदनों की माला पहन 90 KM पैदल चला 79 वर्षीय बुजुर्ग, कलेक्टर से बोला-पहले गांव में स्कूल बनाओ

MP News: मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले से प्रशासनिक संवेदनहीनता को उजागर करने वाली एक मार्मिक तस्वीर सामने आई है. नागदा तहसील के ग्राम भड़ला निवासी 79 वर्षीय अंबाराम परमार वर्षों से गांव में स्कूल भवन निर्माण की मांग कर रहे हैं. सुनवाई नहीं होने से आहत होकर उन्होंने अब तक दिए गए 81 आवेदनों की माला पहनकर 90 किलोमीटर पैदल सफर तय करते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर प्रशासन का ध्यान खींचा.

तीन दिन पैदल चलकर उज्जैन पहुंचे

अंबाराम परमार ने उज्जैन कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर कहा कि वे तीन दिन पैदल चलकर उज्जैन पहुंचे हैं, ताकि अधिकारियों को बच्चों की बदहाली दिखाई जा सके. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा-“सबसे पहले मेरे गांव में स्कूल बनाइए, फिर बाकी मांगों पर बात होगी.” इसके साथ ही उन्होंने 51 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन भी सौंपा.

13 वर्षों से स्कूल भवन नहीं

ग्राम भड़ला, जो जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित है, वहां पिछले 13 वर्षों से स्कूल भवन नहीं है. प्राथमिक स्कूल की कक्षाएं गांव के ही बुजुर्ग अंबाराम परमार के आंगन में संचालित हो रही हैं. कभी झोपड़ी, कभी पेड़ के नीचे बच्चों को बैठाकर पढ़ाया जाता है. बारिश और गर्मी में बच्चों की पढ़ाई सबसे ज्यादा प्रभावित होती है. 

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बारिश के मौसम में स्कूल पहुंचना भी मुश्किल 

गांव में पदस्थ शिक्षिका हंसा बैरागी ने बताया कि स्कूल में पहली से पांचवीं कक्षा तक 29 बच्चे पढ़ते हैं. स्कूल की शुरुआत वर्ष 2013 में हुई थी, लेकिन तब से अब तक स्थायी भवन नहीं बन सका. शिक्षक मनोज दास ने बताया कि गांव तक पक्की सड़क नहीं होने के कारण बारिश में स्कूल पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है. भवन निर्माण ग्रामीण सहयोग से शुरू हुआ था, लेकिन वह आज तक अधूरा और खंडहरनुमा स्थिति में है.

भोपाल-दिल्ली तक करेंगे पैदल मार्च 

अंबाराम परमार ने चेतावनी दी कि यदि अब भी उनकी मांग पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे भोपाल और फिर दिल्ली तक पैदल मार्च करेंगे और जरूरत पड़ी तो भूख हड़ताल भी करेंगे, लेकिन बच्चों को स्कूल भवन दिलाकर ही दम लेंगे. अंबाराम परमार ने कहा क‍ि “13 साल से बच्चों को बैठने तक की जगह नहीं है. 81 बार आवेदन दे चुका हूं, अब भी स्कूल नहीं बना तो भोपाल-दिल्ली तक जाऊंगा.” 

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