CG Assemby Winter Session: छत्तीसगढ़ सीएम विष्णु देव साय ने बुधवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन कांग्रेस पर पर जमकर निशाना साधा. सदन में राष्ट्रीय गीत की 150वीं वर्षगांठ की चर्चा में कहा कि देश में कई दशक तक राज करने वाली पार्टी आज विपक्ष की भूमिका के साथ भी न्याय नहीं कर पा रही है. कांग्रेस पर खास वर्ग की तुष्टीकरण करने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि तुष्टीकरण की राजनीति कांग्रेस की डीएनए में है.
शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन राष्ट्रीय गीत पर हुई चर्चा
गौरतलब है छत्तीसगढ़ विधानसभा की शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन चर्चा शुरू करने से पहले विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने सदन की शुरूआत राष्ट्रीय गीत वंदे भारत की ऐतिहासिकता और प्रासंगिकता को लेकर किया. उन्होंने कहा कि, विधानसभा की इस चर्चा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर चर्चा करने जा रहे हैं, यह हमेशा याद रखा जाएगा.
राष्ट्रीय गीत के शताब्दी वर्ष में पूरे देश में आपातकाल था
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं है, स्वतंत्रता आंदोलन की ऊर्जा है. आजादी की लड़ाई में सेनानियों की प्रेरणा और राष्ट्र प्रेम की भावना के संचार का माध्यम भी रहा है. चर्चा में भाग लेते हुए सीएम साय ने कहा, ‘‘मैंने वह दौर भी देखा है, जब वंदे मातरम् ने अपना शताब्दी वर्ष पूरा किया था, लेकिन तब पूरे देश में आपातकाल लगा था.
'संविधान जेब में रखकर चलने वाली कोई वस्तु नहीं है'
सीएम साय ने कहा, ‘हमारा संविधान जेब में रखकर चलने वाली कोई वस्तु नहीं है, हमारा राष्ट्रगीत कोई ऐसा गीत नहीं, जिसकी पंक्तियां अपनी सुविधा से काटी जा सकें, लेकिन जब कोई पार्टी तुष्टीकरण की पट्टी आंखों पर पहन लेती है तो उसे कहीं भी न्याय नजर नहीं आता है.
अपनी सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय गीत की मनमानी व्याख्या
CM बोले, कांग्रेस ने अपनी सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय गीत की मनमानी व्याख्या कर दी. उन्होंने कहा कि जिस मंत्र पर स्वतंत्रता संग्राम खड़ा हुआ, उसी मंत्र को स्वतंत्र भारत में पूर्ण राष्ट्रीय सम्मान क्यों नहीं मिला? उन्होंने कहा कि बंगाल की सड़कें इस बात की गवाह है कि कैसे स्वदेशी आंदोलनों के दौरान हिन्दू-मुस्लिम एक साथ 'वंदे मातरम' का नारा लगाते हुए निकलते थे.
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'वंदे मातरम् राष्ट्रीय गीत नहीं, देश की सांस्कृतिक चेतना है'
सीएम साय ने कहा, कुछ समय पहले अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर भी प्रतिपक्ष के लोगों ने आमंत्रण को ठुकरा दिया. जिस तरह से राम केवल हिंदू धर्म की आस्था के प्रतीक नहीं, राष्ट्र के सांस्कृतिक महानायक हैं, उसी तरह वंदे मातरम् केवल राष्ट्रगीत नहीं, वह देश की सांस्कृतिक चेतना है.
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