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Tomato Farming: इस खास टमाटर से मालामाल हुआ बलौदा बाजार का किसान, एक सीजन में कमाए 3 लाख रुपये

Grafted Tomato Farming: बलौदा बाजार के किसान ग्राफ्टेड टमाटर की खेती से लाखों रुपये का लाभ कमा रहे हैं. साथ ही खरपतवार से निजात पाया है. बता दें कि इस टमाटर की खेती से लागत भी कम हुई है.

Tomato Farming: इस खास टमाटर से मालामाल हुआ बलौदा बाजार का किसान, एक सीजन में कमाए 3 लाख रुपये

Grafted Tomato Farming, Farmer Success Story: आज के दौर के युवा खेती (Farming) नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि ऐसी धारणा है कि खेती घाटे का सौदा है. साथ ही इससे पहचान भी नहीं मिल पाती है, लेकिन छत्तीगढ़ (Chhattisgarh) के बलौदा बाजार (Baloda Bazar) में किसान ने इस सोच और धारणा को बदल दिया है. पहले वो पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन उन्हें इसमें ज्यादा मुनाफा नहीं मिल पाता था. हालांकि अब ये किसान दिमाग लगाकर इस खेती से लाखों रुपये मुनाफा कमा रहे हैं. बता दें कि ये किसान ग्राफ्टेड टमाटर की खेती कर रहे हैं. 

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ग्राफ्टेड टमाटर: एक सीजन में 3 लाख रुपये तक हो रही कमाई

ग्राफ्टेड टमाटर की खेती इसका बड़ा उदाहरण बनकर सामने आई है, जहां किसान ने एक सीजन में करीब तीन लाख रुपये  की कमाई की है. अभी फसल का उत्पादन निकल रहा है और आने वाले समय में और लाभ किसान को मिलेगा. मलचिंग और ड्रिप सिंचाई आधारित इस खेती से न केवल किसान की लागत घटी है, बल्कि कम मेहनत में अधिक उत्पादन भी संभव हो पाया है. आधुनिक कृषि तकनीकें अब किसानों के लिए वरदान साबित हो रही हैं.

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ग्राफ्टेड टमाटर की खेती अपनाने वाले भाटापारा के ग्राम टिकुलिया के किसान युवराज साहू बताते हैं कि इस पद्धति में पौधे अधिक मजबूत होते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी ज्यादा रहती है. साथ ही ग्राफ्टेड टमाटर में ब्रांचेस ज्यादा होने से फसल की उम्र लंबी होती है और उत्पादन बढ़ता है.

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कम करनी पड़ती है सिंचाई

उन्होंने बताया कि जंगली बैगन के जड़ में ग्राफ्टिंग होने से पौधे की उम्र और उसमें खाद की खपत भी कम होती है. साथ ही मलचिंग के उपयोग से खेत में खरपतवार की समस्या लगभग खत्म हो गई है. निदाई की समस्या नहीं रहती. फसल को दी जाने वाली दवाइयां और खाद फसल को ही मिलता है.

वहीं नमी लंबे समय तक बनी रहने से सिंचाई की जरूरत भी कम पड़ती है. ड्रिप सिंचाई प्रणाली से पानी और खाद सीधे जड़ों तक पहुंचती है, जिससे पानी की बचत के साथ पौधों की बेहतर वृद्धि होती है. मजदूरों की कमी से जूझ रहे किसानों के लिए यह तकनीक काफी राहत लेकर आई है, क्योंकि इसमें कम देखरेख की जरूरत पड़ती है.
 

किसान का कहना है कि पारंपरिक टमाटर की खेती की तुलना में ग्राफ्टेड खेती से उन्हें ज्यादा उत्पादन मिला और बाजार में बेहतर दाम भी मिल रहे हैं.

किसानों की आय में हो रही है वृद्धि

उद्यानिकी विभाग के उद्यान अधीक्षक बालकृष्ण राठौर ने बताया कि आधुनिक तकनीक, वैज्ञानिक पद्धति और बाजार की मांग को समझकर की गई खेती अब किसानों की आय बढ़ाने का मजबूत जरिया बन रही है. ग्राफ्टेड टमाटर की खेती से बीमारियां नहीं लगती.

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8 से 9 महीने तक किसान ग्राफ्टेड टमाटर का ले सकते हैं उत्पादन

उन्होंने आगे बताया कि ग्राफ्टेड टमाटर का उत्पादन लेने के लिए किसानों को इसलिए भी मोटिवेट किया जा रहा है कि वो जल्दी अगर उसका उत्पादन लेते हैं तो उन्हें ज्यादा लाभ होगा. मिट्टी जनित बीमारी कम होती है, फसल तुड़ाई की अवधि बढ़ जाती है. इस तकनीक से 8 से 9 महीने तक किसान फसल का उत्पादन ले सकते हैं, जो सामान्य तकनीक में नहीं होता सामान्य तकनीक के पौधे जल्दी सूख जाते हैं. भाटापारा क्षेत्र की बात करें तो 20 एकड़ में इस तरह की खेती हो रही है, जिसमें ग्राफ्टेड टमाटर लगाए गए हैं. इस तरह की खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 30000 रुपये का अनुदान उद्यानिकी विभाग के तरफ से दिया जाता है.

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