DSP Neha Prajapati Success Story: मिट्टी के गुल्लक, घर-घर बेलपत्र…कच्चा घर और खाली जेब, लेकिन आंखों में सपने भरपूर... यह कहानी है मध्य प्रदेश के सतना की रहने वाली नेहा प्रजापति की. नेहा के पिता सीमेंट की दुकान में काम करते थे और मां मिट्टी के गुल्लक बनाकर घर संभालती थी. परिवार की स्थिति बेहद खराब थी, तीन बहन एक भाई... सभी ने तय किया पढ़-लिखकर कुछ बनना है. आस-पास के लोग इन तीनों बेटियों को बोझ कहते थे... लेकिन तीन बेटियों को 'बोझ' कहने वाली दुनिया के सामने माता-पिता ने बेटियों को अपनी ताकत बनाया.
उधार पैसे लेकर तय किया MPPSC का सफर
सरकारी स्कूल, बरसात में टपकती छत, खर्च उठाने के लिए ट्यूशन पढ़ाया, मठ्ठा और बेलपत्र तक बेचे... लेकिन पढ़ाई एक दिन भी नहीं रुकी. इतना ही नहीं MPPSC का सफर उधार की फीस लेकर तय किया. लेकिन संघर्ष यहीं नहीं रुकी. कोरोना की मार ने नेहा को इंदौर से घर लौटने पर मजबूर कर दिया. फिर भी हौसला जिंदा रखा...

पहले प्रयास में बनीं एक्साइज सब इंस्पेक्टर... लेकिन सपना अधूरा था
MPPSC का सफर नहीं रुका. उन्होंने काम के साथ ऑनलाइन तैयारी की. नेहा ने साल 2019 में एमपीपीएससी का एग्जाम दिया. पहले प्रयास में प्रीलिम्स क्वालिफाई किया. हालांकि कोरोना काल में सब कुछ ठप पड़ गया. मेंस परीक्षा भी कोरोना के कारण थोड़ी लेट हुई. उन्होंने 2021 में मेंस दिया. इसके बाद इंटरव्यू भी पहले ही प्रयास में निकाला. पहले प्रयास में नेहा का चयन एक्साइज सब इंस्पेक्टर (Excise Sub Inspector) के पद पर हुआ. हालांकि अभी नेहा का सपना अधूरा था और मंजिल कहीं और...
तीनों बहनों को कहा जाता था 'बोझ'
वो रुकी नहीं... नौकरी के साथ पढ़ाई भी जारी रखी. चुनौतियों और जिम्मेदारियों को बखूबी तौर से संतुलित करते हुए नेहा ने एक बार फिर MPPSC 2023 की परीक्षा में बैठी... वो प्री, मेंस और फिर इंटरव्यू परीक्षा पास की. इस बार नेहा अपनी मंजिल पर पहुंच चुकी थी... वो अपना सपना पूरी कर चुकी थी.. नेता का चयन DSP पद पर हुआ.
इस मुकाम को हासिल करने के बाद नेहा बेहद खुश है. नेहा NDTV से कहती हैं कि हमने निश्चित किया था कुछ बनना है... तैयारी करनी है. हमारे परिवार के तीनों भाई बहन ने मिलकर तैयारी की. हम लोगों ने छोटी-बड़ी सभी परीक्षा दी. हमारा सिलेक्शन होना भी प्रारंभ हो गया. आज पूरा परिवार पढ़-लिखकर बेहतर जगह पर है. जिसमें हमारे गुरुजन, माता-पिता के साथ हमारे मामा जो सिरमौर में एसडीओपी के पद पर वर्तमान में पदस्थ हैं, उनकी प्रेरणा काम आई. नेता कहती हैं कि सपने जब जिद बन जाएं...तो वर्दी खुद रास्ता ढूंढ लेती है.
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