Makar Sankranti 2025 Tithi: सनातन धर्म में अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार पहला पर्व मकर संक्रांति का होता है. हर साल जनवरी महीने में 13 से 15 तारीख के बीच इस त्योहार को मनाया जाता है. साल 2025 में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2025) का पर्व 14 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा. मान्यता के अनुसार, संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे सूर्य का उत्तरायण (Surya Uttarayan) भी कहा जाता है. इस दिन एक खास संयोग भी बन रहा है. आइए आपको इसके बारे में बताते हैं.
इस दिन मनाई जाएगी मकर संक्रांति 2025 (Makar Sankranti 2025 Date)
मकर संक्रांति का त्योहार इस साल 2025 में 14 जनवरी को मनाया जाएगा. हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस दिन सुबह 9:03 बजे सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे. उदयातिथि के अनुसार, भारत में मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी. इस दिन स्नान-दान करने के लिए खास शुभ मुहूर्त है.
मकर संक्रांति 2025 का शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti 2025 Shubh Muhurat)
मकर संक्रांति 2025 के अगर शुभ मुहूर्त की बात करें, तो मंगलवार, 14 जनवरी 2025 को पुण्य काल सुबह 09:03 बजे, जो शाम 5:46 बजे तक रहेगी.
स्नान का शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti Snan Shubh Muhurat)
14 जनवरी 2025 को स्नान-दान का शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 3 मिनट से सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक है. इस महा पुण्य काल में स्नान और दान करने का खास पु्ण्य मिलता है.
मकर संक्रांति 2025 का विशेष संयोग (Makar Sankranti 2025 Special Sanyog)
मकर संक्रांति के दिन एक विशेष संयोग बन रहा है. इस दिन 19 साल बाद दुर्लभ भौम पुष्प योग बन रहा है. ज्योतिष शास्त्र में भौम पुष्प योग को अत्यंत शुभ माना जाता है. यह योग मंगल और पुष्य नक्षत्र के मिलन से बनता है. इस योग में किए गए कार्यों में सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है.
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मकर संक्रांति का महत्व (Makar Sankranti Importance)
मकर संक्रांति का धार्मिक, सांस्कृतिक और खगोलीय, तीनों रुपों में बहुत खास महत्व है. धार्मिक मान्यता में ये दिन भगवान सूर्य की पूजा के लिए खास दिन माना जाता है. इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान-पुण्य करते हैं. सांस्कृतिक रूप से यह पर्व नई फसल के आगमन की खुशी का प्रतीक है. इस दिन तिल और गुड़ से बनी चीजें खाई जाती हैं और पतंगें उड़ाई जाती हैं. खगोलीय दृष्टि से इस दिन सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है, जिससे इस दिन के बाद से दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)