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क्या बढ़ता स्क्रीन टाइम बच्चों की सेहत लिए है खतरनाक? नए रिसर्च में हुआ खुलासा

हाल ही में हुए एक रिसर्च में भी है पाया गया है की स्क्रीन टाइम ज्यादा होने की वजह से 12 साल से भी कम उम्र के बच्चों के दिमाग पर इसका काफी गलत असर पढ़ रहा है.

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क्या बढ़ता स्क्रीन टाइम बच्चों की सेहत लिए है खतरनाक? नए रिसर्च में हुआ खुलासा

Screen Time Side Effect: जब से कोरोना (Corona) का कहर पूरी दुनिया में आया था तब से लोगों की अपने फोन (Phone) लैपटॉप (Laptop) और टीवी (T.V) देखने के प्रति रुचि ज्यादा बढ़ गई थी और यह अब बढ़कर इतनी ज्यादा हो गई है कि आपके घर पर मौजूद छोटे बच्चे भी आपकी देखा सीखी टीवी और मोबाइल का यूज करने लगे हैं. बच्चे (Child) आजकल घर से बाहर जाकर खेलना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते, बल्कि उन्हें टीवी, मोबाइल, लैपटॉप ,कंप्यूटर, टैब इन्हें यूज करने में बड़ा मजा आता है. जिसकी वजह से बच्चों का स्क्रीन टाइम काफी ज्यादा बढ़ने (Screen Time Side Effect) लगा है. हाल ही में हुए एक रिसर्च में भी है पाया गया है कि स्क्रीन टाइम ज्यादा होने की वजह से 12 साल से भी कम उम्र के बच्चों के दिमाग पर इसका काफी गलत असर पढ़ रहा है. रिसर्च में यह पाया गया है कि ब्रेन के फिजिकल और फंक्शनल चेंजेस का उनके ग्रोथ पर ये सीधा असर कर रहा है.आपको बता दें कि रिसर्च में 30,000 लोगों को शामिल किया गया था.

सामान्य शब्दों में समझा जाए तो एक बच्चा अगर ज्यादा से ज्यादा समय वर्चुअल वॉर्ड यानी स्क्रीन के सामने बिताता है तो वह खेलकूद ,एक्सरसाइज, लोगों से मिलने, बातचीत करने और भी बहुत सारी स्किल सीखने के लिए अपना समय कम करता जाता है. जिससे उसके ओवरऑल ग्रोथ पर डायरेक्ट इफेक्ट होता है.

स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों को क्या नुकसान होते हैं?
हाल ही में किए गए रिसर्च में यह पाया गया है कि स्क्रीन टाइम बढ़ जाने से बच्चों के दिमाग पर सीधा असर पड़ता है. इससे बच्चों के दिमाग के काम करने की कैपेसिटी कम होने लगती है. याददाश्त कमजोर होने लगता है. बच्चे अगर कुछ प्लान कर रहे होते हैं तो उसमें उन्हें परेशानी महसूस होती है और सिचुएशन बदलने पर उनके रिएक्शन में भी परिवर्तन आने लगता है. इतना ही नहीं बल्कि बच्चों की यह सब क्रिया करने की क्षमता धीमी हो जाती है. इसके अलावा कई सेंसिटिव फिलिंग्स भी कम होने लगती हैं. यह रिसर्च अर्ली एजुकेशन एंड डेवलपमेंट में पब्लिश किया गया है.

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बच्चों के आखों पर पड़ने वाले असर
लैपटॉप, मोबाइल स्क्रीन, टैब की अल्ट्रावायलेट लाइट आंखों के लिए हार्मफुल होती जा रही है.

स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट से नींद से जुड़ी समस्याएं होती हैं क्योंकि आंखों के स्लीप साइकिल इससे काफी डिस्टर्ब होते हैं जिसकी वजह से बच्चों को नींद कम आती है.

इसका असर आंखों के रेटीना पर भी पड़ता है.

जब बच्चा मोबाइल, टैब ,लैपटॉप या टीवी लाइट बंद करके देखना शुरु करता है तो इससे कई तरह की शारीरिक दिक्कतें आने लगती हैं. क्योंकि कम रोशनी और लेट कर मोबाइल चलाने या लैपटॉप चलाने से आपकी आंखों पर इसका सीधा असर पड़ता है.

स्क्रीन टाइम कितना खतरनाक है?
एक रिसर्च में यह पाया गया है कि टैब यूज करने वालों के ब्रेन फंक्शंस नॉर्मल नहीं होते हैं और उन्हें प्रॉब्लम सॉल्व करने में या इस तरीके की टास्क करने में काफी समस्या होने लगती है. वैज्ञानिकों के अनुसार इस समस्या से बचने के लिए बहुत जरूरी है कि बच्चों का स्क्रीन टाइम कम किया जाए और उन्हें सोशली एक्टिव किया जाए.

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