
Supreme Court Decision on Electoral Bonds : इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे असंवैधानिक (Unconstitutional) करार दिया है. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से सुनाया. फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि चुनावी बांड योजना सूचना के अधिकार (Right to Information) और अभिव्यक्ति की आजादी (Right to Speech) का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के द्वारा फंडिंग की जानकारी उजागर न करना सूचना का अधिकार के उद्देश्य के विपरीत है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया में प्रासंगिक इकाइयां हैं. चुनावों के लिए राजनीतिक दलों की फंडिंग की जानकारी जरूरी है. यह ऐतिहासिक फैसला सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने सुनाया है. इससे पहले मामले की सुनवाई पूरी होने पर बीते दो नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
काले धन पर अंकुश लगाना बांड का आधार नहीं
फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा कि चुनावी बांड योजना काले धन पर अंकुश लगाने वाली एकमात्र योजना नहीं है, अन्य विकल्प भी हैं. काले धन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है. गुमनाम चुनावी बांड सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है.
नागरिक की राजनीतिक गोपनीयता निजता का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि निजता के मौलिक अधिकार में एक नागरिक की राजनीतिक गोपनीयता और राजनीतिक संबद्धता का अधिकार शामिल है. किसी भी नागरिक की राजनीतिक संबद्धता के बारे में जानकारी से उस पर अंकुश लगाया जा सकता है या उसे ट्रोल किया जा सकता है. इसका उपयोग मतदान निगरानी के माध्यम से मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करने के लिए किया जा सकता है.
कोर्ट ने कहा कि इतिहास से पता चलता है कि वैचारिक झुकाव आदि से राजनीतिक संबद्धता का आकलन किया जा सकता है. राजनीतिक दलों को वित्तीय योगदान आम तौर पर पार्टी के समर्थन या बदले के लिए किया जाता है. अब तक निगमों और व्यक्तियों द्वारा कानून इसकी अनुमति देता रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब कानून राजनीतिक समर्थन दिखाने वाले व्यक्ति को राजनीतिक योगदान की अनुमति देता है तो उनकी रक्षा करना संविधान का कर्तव्य है. कुछ योगदान गैर प्रमुख दलों का भी होता है और आम तौर पर यह समर्थन दिखाने के लिए होता है.
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