Supreme Court Verdict: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के निर्दलीय विधायक की याचिका की सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव में नामांकन (Election Affidavit) के दौरान उम्मीदवारों को अपनी या किसी आश्रित की पूरी संपत्ति का खुलासा करने की जरूरत नहीं है. जब तक कि उस संपत्ति से वोटिंग या उम्मीदवार के लाइफ स्टाइल में असर नहीं पड़ता हो. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने यह टिप्पणी पांच साल पुराने मामले पर सुनवाई करते हुए की.
दरअसल, साल 2019 में अरुणाचल प्रदेश की तेजु विधानसभा क्षेत्र से जीतकर आए निर्दलीय विधायक कारिखो क्रि (Karikho Kri) की सदस्यता गुवाहाटी हाईकोर्ट (Guwahati High Court) ने रद्द कर दी. जिसके बाद कारिखो ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला पलटते हुए यह बड़ा फैसला सुनाया है.
याचिकाकर्ता ने लगाए थे ये आरोप
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को उनके या उनके आश्रितों के मालिकाना हक वाली हर चल संपत्ति का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं है, जब तक कि वे काफी महंगी न हों. बता दें कि कारिखो के खिलाफ दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि कारिखो ने चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल करते समय अपनी पत्नी और बेटे की तीन गाड़ियों का खुलासा नहीं किया था. दरअसल, 2019 में अरुणाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में तेजु विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक कारिखो क्रि ने जीत दर्ज की. चुनाव परिणाम आने के बाद, कांग्रेस उम्मीदवार नुनी तयांग ने एक चुनाव याचिका दायर की, जिसमें कारिखो की जीत को चुनौती दी गई.
हाईकोर्ट ने सुनाया था यह फैसला
याचिकाकर्ता तयांग ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 90 (ए) (सी) के तहत याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने तेजू सीट से क्रि की चुनावी जीत को रद्द करने की मांग की. तयांग ने दावा किया कि कारिखो ने इलेक्शन नॉमिनेशन फाइल करते समय चुनाव आयोग को गलत जानकारी दी. इस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कारिखो के खिलाफ फैसला सुनाया और उनकी जीत को रद्द कर दिया.
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