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थाली में घुलता ज़हर: बासी खाना और जंक फूड से बीमार हो रहे हैं लोग , चौंकाने वाली रिपोर्ट !

सुबह ऑफिस के लिए भागते हुए जब हम फ्रिज से पिछली रात का खाना निकालकर माइक्रोवेव में गरम करते हैं, तो लगता है हमने समय बचा लिया. पेट भी भर गया और झंझट भी टल गया. लेकिन यही आदत, धीरे-धीरे हमारी सेहत और सोच पर ऐसा असर डालती है, जिसका एहसास हमें देर से होता है.

थाली में घुलता ज़हर: बासी खाना और जंक फूड से बीमार हो रहे हैं लोग , चौंकाने वाली रिपोर्ट !

Stale food Health issue: ज़रा सोचिए…सुबह ऑफिस के लिए भागते हुए जब हम फ्रिज से पिछली रात का खाना निकालकर माइक्रोवेव में गरम करते हैं, तो लगता है हमने समय बचा लिया. पेट भी भर गया और झंझट भी टल गया. लेकिन यही आदत, धीरे-धीरे हमारी सेहत और सोच पर ऐसा असर डालती है, जिसका एहसास हमें देर से होता है.

भोजन: सिर्फ ईंधन नहीं, जीवन ऊर्जा

आयुर्वेद हजारों साल पहले ही बता चुका है कि भोजन सिर्फ पेट की भूख मिटाने के लिए नहीं होता, यह हमारे शरीर, मन और भावनाओं को गढ़ने वाला सबसे बड़ा कारक है. ताजा बना भोजन सात्विक माना जाता है, जिसमें ‘प्राणशक्ति' यानी जीवन ऊर्जा भरी रहती है. यही ऊर्जा हमें हल्का, सक्रिय और सकारात्मक बनाए रखती है. लेकिन यही खाना कुछ घंटों बाद राजसिक और फिर तामसिक बन जाता है, जो शरीर में सुस्ती, भारीपन और मानसिक बेचैनी लाता है.

ताजा भोजन से 30% कम होती बीमारियां

अब इसे विज्ञान से जोड़कर देखें. अमेरिकन नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जो लोग ताजा, घर का बना हुआ खाना खाते हैं, उनमें मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज और डिप्रेशन जैसी बीमारियों का खतरा 30% तक कम हो जाता है. वहीं, बासी और बार-बार गरम किया हुआ खाना खाने से शरीर में एक्रिलामाइड जैसे टॉक्सिन्स बनने लगते हैं. ये टॉक्सिन्स कैंसर और हार्ट डिजीज जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा सकते हैं.

बासी खाना और जंक फूड: धीमा ज़हर!

भारत में ही ICMR (Indian Council of Medical Research) की एक स्टडी बताती है कि शहरी इलाकों के 62% लोग नियमित रूप से जंक फूड या रीहीटेड फूड पर निर्भर हैं. यही वजह है कि मेट्रो शहरों में पाचन से जुड़ी बीमारियां, एसिडिटी, मोटापा और माइग्रेन तेजी से बढ़ रहे हैं. खासतौर पर बच्चों और युवाओं के लिए यह आदत खतरनाक है. लगातार बासी और जंक फूड खाने से उनकी एकाग्रता घटती है, थकान बढ़ती है और वो मानसिक रूप से चिड़चिड़े हो जाते हैं. कई रिसर्च बताती हैं कि हेल्दी और ताजा खाना खाने वाले बच्चों में सीखने की क्षमता और मूड स्थिरता 20–25% तक बेहतर होती है.असल में, हर बार जब हम फ्रिज का डिब्बा उठाते हैं, तो हम सिर्फ खाना नहीं चुनते—हम यह भी तय करते हैं कि हमारा शरीर और मन किस दिशा में जाएगा. सवाल सिर्फ इतना है कि आप थाली में ताजगी भरना चाहते हैं या धीरे-धीरे जहर?

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