IFFI: प्लेटफॉर्म प्राइम वीडियो ने आज 56वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में अपनी सीरीज दलदल (Daldal) की एक्सक्लूसिव फर्स्ट लुक पेश की. इस काल्पनिक सीरीज ने अपने रोमांचक चित्रण से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जिसमें मुंबई की नई नियुक्त डीसीपी रीटा फेरेरा एक निर्दयी कातिल का पीछा करते हुए शहर के नैतिक धुंधले क्षेत्रों में उलझती जाती है और अपने अतीत की परछाइयों का सामना करती है. विश धमिजा की बेस्टसेलिंग किताब भेंडी बाजार पर आधारित ‘दलदल' अबंडेंटिया एंटरटेनमेंट का प्रोडक्शन है, जिसे सुरेश त्रिवेणी ने श्रृंखला के रूप में क्रिएट किया है और इसका निर्माण विक्रम मल्होत्रा व त्रिवेणी ने किया है. अमृत राज गुप्ता द्वारा निर्देशित और त्रिवेणी, श्रीकांत अग्नीस्वरण, रोहन डी'सूजा और प्रिया सागी द्वारा लिखित यह साइकोलॉजिकल क्राइम थ्रिलर भूमि सतीश पेडनेक्कर, आदित्य रावल और सामरा तिजोरी को मुख्य भूमिकाओं में प्रस्तुत करती है और जल्द ही भारत सहित दुनिया भर के 240+ देशों व क्षेत्रों में प्राइम वीडियो पर प्रीमियर होगी.
महिला पात्रों के चित्रण में
इन-रूम एक्सक्लूसिव टीजर प्रीव्यू के बाद एक ज्ञानवर्धक फायरसाइड चैट हुई जिसका शीर्षक था 'बियॉन्ड द स्टीरियोटाइप: रिडिफाइनिंग वीमेन एंड पावर इन मॉडर्न स्टोरीटेलिंग'. इस सत्र में सीरीज की मुख्य अभिनेत्री भूमि सतीश पेडनेक्कर और प्राइम वीडियो इंडिया के डायरेक्टर व हेड ऑफ ओरिजिनल्स, निखिल माधोक शामिल हुए, साथ ही ‘दलदल' के रचनात्मक सहयोगी भी मौजूद रहे. उन्होंने इस सीरीज की मनोवैज्ञानिक गहराई और महिला पात्रों के चित्रण में रूढ़ियों को तोड़ने के प्रयासों पर चर्चा की. बातचीत में बताया गया कि ‘दलदल' जानबूझकर महिला पुलिस अधिकारियों के परिचित रूढ़िगत चित्रण से दूर जाती है और उसकी जगह एक ऐसी महिला का बहुआयामी चित्रण पेश करती है.
पुरुष दृष्टि पर केंद्रित
प्राइम वीडियो इंडिया के डायरेक्टर और हेड ऑफ ओरिजिनल्स, निखिल माधोक ने महिलाओं-केंद्रित स्टोरीटेलिंग के लिए ब्रांड के दृष्टिकोण और विजन पर विस्तार से बात की. दशकों तक मुख्यधारा सिनेमा का 90% हिस्सा पुरुष नायकों और पुरुष दृष्टि पर केंद्रित रहा, जबकि टेलीविजन (महिला दर्शकों पर केंद्रित होने के बावजूद) महिलाओं की कहानियों को घरेलू दायरे तक ही सीमित रखता था. स्ट्रीमिंग ने हमें यह मौका दिया कि हम इस पैटर्न को तोड़ सकें और ऐसी महिलाएं पेश करें जिनके पास एजेंसी हो, गहराई हो, खामियां हों और जिनके असल जीवन को प्रतिबिंबित करें.
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