Network Marketing Fraud: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के दौरे पर रविवार को पहुंचे सीएम विष्णुदेव साय के मंत्रिमंडल के सदस्य और दो कैबिनेट मंत्रियों को उस वक्त मुश्किलों को सामना करना पड़ गया, जब नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी फ्लौरामैक्स से ठगी की शिकार हुई महिलाओं ने उन्हें घेर लिया. महिलाएं नेटवर्क कंपनी में निवेश के लिए बैंक से लिए कर्ज माफी की गुहार कर रही थीं,, लेकिन मंत्रियों ने कर्जमाफी से इनकार कर दिया, जिससे महिलाएं भड़क गईं.
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रिपोर्ट के मुताबिक नेटवर्किंग कंपन फ्लोरामैक्स द्वारा की गई धोखाधड़ी और नेटवर्किंग के प्रोडक्टर में निवेश के लिए बैंक से लिए कर्ज के माफी को लेकर महिलाएं गत 6 जनवरी से आमरण अनशन पर बैठी हैं. रविवार को जैसे ही पीड़ित महिलाओं को पता चला कि सरकार के दो कैबिनेट मंत्री वनवासी कल्याण आश्रम आए हैं, तो महिलाओं का समूह वहां पहुंच गया दोनों कैबिनेट मंत्री क्रमशः रामविचार नेताम और लखनलाल देवांगन को घेर लिया.
रिपोर्ट के मुताबिक साय सरकार के दोनों कैबिनेट मंत्री कोरबा जिले में वनवासी कल्याण आश्रम में गौरी-गौरा पूजा महोत्सव शामिल होने पहुंचे थे. उन्होंने पीड़ित महिलाओं द्वारा बैंक से लिए गए कर्जे की माफी से इनकार कर दिया, जिससे कैबिनेट मंत्री और महिलाओं के बीच नोक-झोंक शुरू हो गई, जिसका वीडियो इंटरनेट पर अब वायरल हो रहा है.
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जिले के तानसेन चौक पर आमरण अनशन पर बैठी महिलाओं के घेरने पर मंत्री रामवविचार नेताम महिलाओं के बीच पहुंचे और आश्वस्त किया कि जिला प्रशासन मामले में कार्रवाई कर रहा है, लेकिन सुनने को तैयार नहीं थी, वो बार-बार बैंक से लिए कर्जे की माफी की फरियाद कर रही थी, जिससे मंत्री को गुस्सा आ गया और कहा कि कोई कर्ज माफी नहीं होगी.
हालांकि इस बीच मंत्री रामविचार नेताम प्रदर्शनकारियों को शांत करने की कोशिश करते नजर आए, लेकिन महिलाओं के सवाल और मंत्री के जवाबों के बीच तीखी बहस होती रही. इस दौरान कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत ने भी महिलाओं को समझाने में जुटे रहे. प्रदर्शनकारी महिलाओं ने नाराज हो गईं.
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क्या है मामला?
कोरबा में फ्लोरामैक्स नामक नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी ने अपना संचालन शुरू किया. कंपनी ने शहर के सिटी मॉल में कई दुकानों को किराए पर लिया और वहां से अपने ऑफिस व प्रचार अभियान की शुरुआत की. कंपनी ने एजेंटों की भर्ती कर उन्हें लक्ष्य दिया कि महिलाओं के छोटे-छोटे समूह बनवाएं, माइक्रोफाइनेंस कंपनियों और बैंकों से उन्हें लोन दिलवाएं और फिर उस राशि को कंपनी में निवेश करवाएं.
मोटा कमीशन और इनकम झांसा दिया
एजेंटों को बताया गया कि ऐसा करने पर उन्हें मोटा कमीशन और इनकम मिलेगी. महिलाओं को समझाया गया कि लोन की राशि को कंपनी में निवेश करने पर उन्हें सिटी सेंटर मॉल से कपड़े, ग्रॉसरी और अन्य सामान मिलेगा, वे चाहें तो इन सामानों का उपयोग करें या बेचकर लाभ कमा लें. कंपनी यह भी वादा करती थी कि उनकी लोन की मासिक किस्त 2700 रुपए खुद जमा करेगी और हर महीने 700 रुपये अलग से देगी.
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ठगी का खुलासा और महिलाओं की परेशानी
तीन-चार महीनों तक नियमित भुगतान करने के बाद अचानक कंपनी ने रकम देना बंद कर दिया. इस बीच, बैंकों और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों ने महिलाओं पर लोन की अदायगी का दबाव बनाना शुरू कर दिया. कई महिलाएं, जिन पर चार-चार लोन थे, इस स्थिति में नहीं थीं कि वे भुगतान कर सकें. महिलाओं ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई, लेकिन जब राहत नहीं मिली तो उन्होंने धरना शुरू कर दिया.
कंपनी के दो डायरेक्टर समेत 13 गिरफ्तार हुए
पुलिस ने शिकायत के बाद कंपनी के सिटी मॉल स्थित ऑफिस और दुकानों को सील कर दिया है. दो डायरेक्टर अखिलेश सिंह और राजू सिंह सहित 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा कंपनी की 7 इको गाड़ियां और एक स्कूटी भी जब्त की गई हैं. कंपनी की अन्य संपत्तियों का पता लगाने का प्रयास जारी है. पुलिस ने कंपनी के नेटवर्क फैलाने में अहम भूमिका निभाने वाले 60 प्रमुख एजेंटों को भी चिन्हित किया है.
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बैंक और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की लापरवाही
इस मामले में बैंकों और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की बड़ी लापरवाही भी सामने आई है. नियमों और उम्र का ध्यान रखे बिना महिलाओं को लोन दिए गए. धरने पर बैठी कई महिलाएं बताती हैं कि उनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है और उन्हें चार-चार लोन दिए गए, जिनमें हर लोन 40,000 का था. इस तरह कुछ महिलाओं पर 2 लाख से अधिक का कर्ज हो गया है.
धरने पर बैठी महिलाओं की क्या है मांगें?
आमरण अनशन पर बैठी महिलाओं की मुख्य मांग है कि उनके लोन माफ किए जाएं और उन्हें इस धोखाधड़ी से राहत दी जाए. वे प्रशासन और सरकार से मामले में जल्द हस्तक्षेप की अपील कर रही हैं. फिलहाल, धरना स्थल पर महिलाओं की भीड़ थी अगर ये धरना खिंचता है तो अन्य जिलों की भी पीड़ित महिलाएं धरने में शामिल हो सकती हैं.