
Deep Asha : छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु वन भैंसा की घटती संख्या को बढ़ाने के लिए 9 साल पहले वन विभाग के अधिकारियों ने आशा नाम के वन भैंसा से क्लोनिंग की प्रक्रिया शुरू की थी. इसके बाद 12 दिसंबर 2014 को क्लोनिंग से एनडीआरआई करनाल (Karnal) में वन भैंसा का बछिया पैदा हुआ था, जिसका नाम दीप आशा (Deep Asha) रखा गया था.
इस सफलता के बाद दावा किया गया कि दुनिया में पहली बार वन भैंसा की क्लोनिंग करने में सफलता मिली है. चार साल बाद अगस्त में दीप आशा को रायपुर लाया गया और जंगल सफारी के एक बाड़े में रखा गया. जंगल सफारी के बाड़े में क़ैद दीप आशा को सिर्फ़ अधिकारियों और मंत्रियों के अलावा किसी देखने की इजाजत नहीं है.
मुर्रा भैंस की तरह दिखती है दीप आशा
दीप आशा बड़ी हुई, तो मुर्रा भैंस की तरह दिखने लगी. इसके बाद अधिकारियों को शंका हुई, दो साल पहले डीएनए सैंपल हैदराबाद भेजा गया, लेकिन रिपोर्ट आज तक नहीं आई है. वन प्राणी प्रेमी नितिन सिंघवी का कहना है अधिकारियों को डर है कि दीप आशा वन भैंसा की जगह मुर्रा भैंस निकल गई, तो बदनामी के साथ कई सवाल उठेंगे.
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अब वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में होगा डीएनए टेस्ट
नितिन सिंघवी का कहना है वे दो साल से दीप आशा की रिहाई की लड़ाई लड़ रहे हैं. सिंघवी ने जुलाई 2023 में मांग की थी कि सीसीएमबी हैदराबाद से रिपोर्ट नहीं आ रही है, तो वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से डीएनए टेस्ट करवाया जाए. इसके बाद अब जाकर 9 नवम्बर को दोबारा सैंपल लिया गया है.
इस मामले में जंगल सफारी के डीएफओ एच. पहारे से एनडीटीवी ने बात करने की कोशिश की गई, तो उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला. दरअसल, उन्होंने न तो टेलीफोन कॉल ही रिसीव किया और न ही मैसेज का ही जवाब दिया.
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