Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के ग्राम पंचायत जगतपुर के अश्रित गांव बारंबांध में ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए परेशान हैं. गांव के लोग ढोंढ़ी के सहारे अपनी कंठ की प्यास बुझा रहे हैं, लेकिन ढोंढ़ी भी अब सूख चुकी है. आलम यह है कि लोग ढोंढ़ी में नीचे उतर कर लोटा और कटोरी के सहारे पानी से बाल्टी भर रहे हैं.
ग्रामीणों ने इस काम में घर के बच्चों को भी लगा दिया है. बच्चे पानी जमा करते हैं, जिन्हें ग्रामीण बारी-बारी घर लेकर जाते हैं. लोगों का कहना है कि पीने के लिए पानी तो मिल नहीं रहा है, ऐसे में निस्तार कहां से करें? बैकुंठपुर विकासखण्ड में आने वाला यह गांव पहाड़ी क्षेत्र में बसा हुआ है. बीते तीन साल पहले यहां प्रशासन की ओर से बोर खनन कराया गया. लेकिन वह भी सफल नहीं हुआ. गांव के चार वार्ड में 400 लोग निवास करते हैं. जिसमें अधिकांश आदिवासी समाज के लोग निवासरत हैं. गांव में 8 कुआं नुमा ढोंढ़ी बनी है, जिनमें कुछ शासकीय तो कुछ प्राइवेट है, जिनमें अब पानी सूख चुका है। लोगों को पानी लेने के लिए बारबांध से सटे कोरिया कॉलरी डेढ़ किमी पैदल चलकर जाना पड़ता है।
ग्रामीण सुभाष का कहना है कि मार्च में होली के बाद से पानी की स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जाती है. इस बार मई से ढोंढ़ी और कुआं सूखने के कगार पर आ गए हैं. ढोंढ़ी खटखरिहिा नाला में मझारीपारा मोहल्ले में बना हुआ है. यहां पर कुल 10 से 12 घर हैं.
पड़ोसी जिला मुख्यालय जाकर ला रहे पानी
वार्ड नंबर 8 में सुभाष के खेत में भी प्राइवेट ढोंढ़ी बनी हुई है, जो सूख चुकी है. इसे नरेगा से बनाया गया था. इस पर भी 10 परिवार के लोग आश्रित हैं. यही हाल वार्ड नबर 10 में है. जय सिंह के खेत में बनी ढोंढ़ी सूख चुकी है. यहां के 15 परिवार के लोग डेढ़ किमी दूर कोरिया में जाकर पैदल पानी भरकर लाकर अपनी प्यास बुझाते हैं. वहीं, रामप्रसाद के घर के पास भी बनी ढोंढ़ी सूख चुकी है. इस वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.