
Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) की दंतेवाड़ा (Dantewada) सीट इस बार फिर कांग्रेस के हाथ से छिन गई है. कर्मा परिवार को इस बार फिर हार का मुंह देखना पड़ा है. इस सीट से भाजपा के चैतराम अटामी के सिर पर जीत का ताज सजा है. चैतराम ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े और कांग्रेस को भारी मतों के अंतर से परास्त कर दिया. इस बार महेंद्र और देवती कर्मा के बेटे छविंद्र कर्मा (Chhavindra Karma) को कांग्रेस ने टिकट दिया था.
सरल स्वभाव ने दिलाई जीत
भाजपा ने इस बार दंतेवाड़ा में नए चेहरे पर दांव खेला. चैतराम कई सालों से दावेदार रहे हैं. लेकिन इन्हें मौक़ा नहीं मिला था. क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बनानी शुरू की. लोगों के बीच पहुंचकर उनके लिए काम किया.सरल, सौम्य स्वभाव से जनता के दिल को जीत लिया और दंतेवाड़ा की जनता ने उन्हें जीत का ताज पहना दिया. चैतराम अभी भाजपा के जिलाध्यक्ष हैं. नक्सलियों के टारगेट में रहे हैं. इन पर नक्सली हमला कर चुके हैं. ऐसे में अपना गांव छोड़कर परिवार के साथ गीदम शहर में रहते हैं. इनकी मान बाज़ार में सब्जी बेचकर अपना जीवन चलाती हैं.
जानिए, ये सीट क्यों है इतनी ज़रूरी
दरअसल, दंतेवाड़ा विधानसभा की सीट भी छत्तीसगढ़ की हाई प्रोफ़ाइल सीट में से एक मानी जाती है. ये बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा (Mahendra Karma) का गढ़ रहा है. छत्तीसगढ़ के कद्दावर नेता महेंद्र कर्मा साल 2013 को नक्सल हमले में मारे गए थे. इसी साल हुए चुनाव में उनकी पत्नी देवती कर्मा (Devti Karma) को कांग्रेस पार्टी ने टिकट देकर मैदान में उतारा था. मौजूदा विधायक भीमा मंडावी (Bhima Mandavi)को शिकस्त देकर देवती चुनाव जीती थीं. साल 2018 को कांग्रेस ने फिर से देवती को मौक़ा दिया. लेकिन देवती चुनाव हार गई थी. 15 सालों बाद प्रदेश में जब कांग्रेस की लहर चली, बस्तर की 12 में से 11 सीट कांग्रेस की झोली में गई, तब यह महत्वपूर्ण सीट कांग्रेस खो चुकी थी. भाजपा के भीमा मंडावी की जीत हुई थी.
नक्सली हमले में मारे गए थे भीमा
साल 2019 को लोकसभा (Loksabha)चुनाव का प्रचार करने गए विधायक भीमा मंडावी (Bhima Mandavi) की गाड़ी को श्यामगिरी (Shyamgiri) में नक्सलियों ने ब्लास्ट कर उड़ा दिया था. जिसमें भीमा मंडावी की दर्दनाक मौत हो गई थी. इसके 6 महीने बाद उपचुनाव हुए. कांग्रेस ने फिर से देवती कर्मा को प्रत्याशी बनाया, जबकि भाजपा ने भीमा की पत्नी ओजस्वी मंडावी ( Ojaswi Mandavi) को मैदान में उतारा था. दोनों के बीच भी कांटे की टक्कर थी. दोनों नेताओं की पत्नियां होने के कारण सहानुभूति का फैक्टर भी खूब चला. देवती को जीताने पूरी सरकार ने दंतेवाड़ा डेरा डाल दिया था. लिहाजा, जीत देवती कर्मा की हुई थी.
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कांग्रेस के हार की बड़ी वजहें -
दंतेवाड़ा में इस बार कांग्रेस पार्टी को मिली हार की सबसे बड़ी वजह पिछले साल भर से प्रशासन और सत्ता पक्ष के नेताओं के बीच तालमेल की बड़ी कमीं रही है. लोगों की मांग और विधायक के आश्वासन के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में काम नहीं हुए.
- एक ही परिवार के सदस्यों को बार-बार मौक़ा मिलने से पार्टी के कई लोगों के बीच अंदरूनी गुटबाजी रही. यही वजह थी कि इस बार पहली बार 19 कांग्रेसियों ने टिकट के लिए दावेदारी कर दी थी.
- सत्ता में आने के बाद खुद की ही पार्टी के कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को दरकिनार करने से नाराजगी रही.
- एक ही परिवार के कई सदस्यों का कामों में हस्तक्षेप करने के आरोप जैसी कई बड़ी वजहों के कारण इस बार फिर कांग्रेस के हाथ से ये सीट फिसल गई.
भाजपा के जीत की बड़ी वजहें
- भाजपा ने इस बार नए चेहरे पर दांव खेला
- भाजपाइयों ने इस बार एकजुटता दिखाई.
- भाजपा प्रत्याशी का सरल व्यवहार
- भाजपा के कार्यकाल में दंतेवाड़ा में हुए तेजी से विकास कार्यों
और कांग्रेस की आपसी गुटबाजी ने भाजपा को जीत दिला दी.
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जानिए इन्हें मिले इतने वोट
उपचुनाव 2019 को कांग्रेस की प्रत्याशी देवती कर्मा को 49907 जबकि भाजपा प्रत्याशी ओजस्वी मंडावी को 38588 वोट मिले थे.
विधानसभा चुनाव 2023 को भाजपा के चैतराम अटामी को 57739 वोट जबकि कांग्रेस के छविंद्र कर्मा को 40936 वोट मिले.
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