
Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्यप्रदेश में 17 नवंबर को मतदान हो चुका है और परिणाम 3 दिसंबर को आएंगे. अहम ये है कि सूबे में इस बार 77.12% मतदान हुआ है जबकि पिछली बार यानी 2018 मे 75.05% मतदान हुआ था. मतलब इस बार 2 % ज्यादा मतदान हुआ है. रिकॉर्ड वोटिंग का यही आंकड़ा पार्टियों को चिंता में डाल रहा है. इसी के मद्देनजर अब बीजेपी और कांग्रेस (BJP and Congress) ने वार्ड स्तर (ward level) पर चुनावी आंकड़ों का विशेषण कराने की रणनीति बनाई है. जिसके जरिए दोनों राजनीतिक दल ये जानने की कोशिश करेंगे कि किस वार्ड में वे मजबूत हुए कहां वे फिसड्डी रहे. ये पता लगाने के लिए दोनों दल अपने संबंधित वार्ड प्रभारी और वार्ड संयोजकों से रिपोर्ट मंगा रहे हैं.
वैसे देखा जाए तो इस बार मध्यप्रदेश में बीजेपी ने पूरी तरह से गुजरात पैटर्न पर चुनाव लड़ा है. संगठन ने नए-नए प्रयोग कर अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए कई तरह की कवायदें की हैं. खुद गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने 51 प्रतिशत वोट बैंक का लक्ष्य दिया था. इसके अलावा राजधानी भोपाल में भी भाजपा के संगठन ने प्रवासी विधायकों को भेजा था. पार्टी ने प्रत्येक विधानसभा पर विधानसभा प्रभारी, विधानसभा संयोजक भी बनाए थे. बूथ प्रभारी, बूथ संयोजक और बूथ अध्यक्ष के साथ-साथ शक्ति केन्द्र के संयोजकों की नियुक्ति भी की गई थी. अब इसके बाद भाजपा के पक्ष में किस तरह का परिणाम आएगा, इसकी राह भी संगठन देख रहा है. हालांकि उसके पहले ही सभी नगर एवं जिलाध्यक्षों से कहा गया है कि वे सभी वार्डों से डाटा मंगवाएं और पिछले डाटा के आधार पर उसका तुलनात्मक विश्लेषण कर रिपोर्ट पेश करें.
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शिवम शुक्ला
दूसरी तरफ कांग्रेस भी विधानसभा स्तर पर डाटा इकट्ठा कर आंकलन कर रही है. सभी प्रत्याशियों से कहा गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र का डाटा शहर कांग्रेस को पहुंचाए. कांग्रेस भी सरकार बनाने का दावा कर रही है.
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स्वदेश शर्मा
चुनाव में ज्यादा मतदान और महिलाओं में खास उत्साह को दोनों दल अपने पक्ष में मान रहे हैं.बीजेपी का दावा है कि लाड़ली लक्ष्मी योजना का जादू चला है. जिसके चलते बहनों ने अधिक से अधिक वोट किया. सरकार की योजनाओं के कारण एससी-एसटी व ओबीसी वर्ग का वोट भाजपा को मिला.,सरकार के खिलाफ कोई एंटी- इंकमबेंसी नहीं थी. पार्टी के बूथ मैनेजमेंट के कारण उनके पक्ष के ज्यादा वोट पड़े और मतदान प्रतिशत बढ़ा है.उधर,कांग्रेस का तर्क है कि बहनें ही नहीं समाज के सभी वर्ग सरकार से नाराज है, ज्यादा मतदान से उनकी नाराजगी झलक रही है.
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