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This Article is From Oct 16, 2023

राजनांदगांव विधानसभा सीट: रमन सिंह की अजेय सीट को भेदने में कांग्रेस को बाहरियों पर ही भरोसा

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 की सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में राजनांदगांव भी शामिल है.बीजेपी की इस अभेद्य सीट को भेदने के लिए कांग्रेस ने फिर से चौंकाने वाला फैसला किया है.कांग्रेस ने एक बार फिर से स्थानीय नेताओं पर भरोसा नहीं जताया और बाहरी गिरीश देवांगन को प्रत्याशी बनाया है.

राजनांदगांव विधानसभा सीट: रमन सिंह की अजेय सीट को भेदने में कांग्रेस को बाहरियों पर ही भरोसा

Chhattisgarh Assembly Elections: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 की सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में राजनांदगांव (Rajnandgaon seat) भी शामिल है.यहां से विधायक डॉ रमन सिंह (Dr Raman Singh) 15 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं.वर्तमान में बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं. बीजेपी की इस अभेद्य सीट को भेदने के लिए कांग्रेस (Congress) ने फिर से चौंकाने वाला फैसला किया है.कांग्रेस ने एक बार फिर से स्थानीय नेताओं पर भरोसा नहीं जताया और बाहरी गिरीश देवांगन (Girish Dewangan) को प्रत्याशी बनाया है.

बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 2003 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सरकार बनी.मुख्यमंत्री बने डॉ.रमन सिंह जो तब राजनांदगांव से सांसद थे. 2004 के उपचुनाव में वे डोंगरगांव से गीता देवी सिंह को हराकर पहली बार विधायक बने. 2008 में हुए अगले चुनाव से उन्होंने राजनांदगांव को अपनी परंपरागत सीट बना ली. तब से वे यहां से अजेय रहे हैं. एक नजर विधानसभा चुनावों में उनके सफर पर भी डाल लेते हैं.  

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जाहिर है आंकड़े साफ बयां कर रहे हैं कि 2004 के उपचुनाव के बाद से मुख्य विरोधी दल कांग्रेस का कोई भी प्रत्याशी रमन के किले को भेद नहीं पाया. इतना ही नहीं 2013 के चुनाव तक रमन की जीत में वोटों का अंतर लगातार बढ़ता ही गया. लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रमन के किले को भेदने एक अलग ही फार्मूला अपनाया. रमन सिंह के खिलाफ बीजेपी से बगावत कर कांग्रेस में शामिल पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की भतीजी करुणा शुक्ला को प्रत्याशी बनाया. रायपुर की रहने वाली करुणा राजनांदगांव के लिए बाहरी थीं लेकिन उन्होंने रमन सिंह को कड़ी टक्कर दी थी. नतीजा ये हुआ है कि 2013 के मुकाबले में 2018 में रमन की जीत का अंतर 50 फीसदी से कम रह गया. चुनाव परिणाम के बाद चर्चा होने लगी कि यदि समय रहते करुणा को टिकट दिया जाता तो परिणाम कुछ और हो सकते थे. 
अब साल 2023 में 2023 में कांग्रेस ने फिर से बाहरी को मौका देते हुए गिरीश देवांगन को रमन सिंह के खिलाफ प्रत्याशी बनाया है.गिरीश देवांगन मूलत:बलोदा बाजार जिले के खरोरा के रहने वाले हैं. वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री भी रह चुके हैं. हालांकि बीजेपी इसे बलि का बकरा ही बता रही है.

डॉ रमन सिंह के सामने भूपेश बघेल ने अपने मित्र व सहयोगी गिरीश देवांगन को उतारा है. भूपेश बघेल अपने मित्र को भी नहीं बख्शते,रमन सिंह के सामने गिरीश देवांगन की राजनीतिक बली दे दी गई है.रमन सिंह और भी ज्यादा मतों से जीतेंगे

सरोज पांडेय

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,बीजेपी

राजनांदगांव से गिरीश देवांगन को चुनावी मैदान में उतारने पर बीजेपी भले ही तंज कस रही हो, लेकिन इस बड़े निर्णय के पीछे कांग्रेस के अपने तर्क हैं. कांग्रेस का कहना है कि राजनांदगांव गिरीश का ननिहाल है और वहां की जनता से वे भलीभांती परिचित हैं. छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि अब लड़ाई किसान और किसान के शोषक के बीच होगा, बीजेपी पर किसानों के शोषण का आरोप लगता रहा है, रमन सिंह के शासनकाल में बड़ी संख्या में किसानों ने आत्महत्या की है. कुल मिलाकर रमन सिंह के खिलाफ गिरीश देवांगन को भले ही बीजेपी राजनीतिक बलि करार दे रही हो,लेकिन पिछले चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि रमन सिंह को उनके ही गढ़ में गिरीश मुश्किलें बढ़ा सकते हैं.हालांकि गिरीश के सामने भी नाराज स्थानीय नेताओं को साधने की चुनौती जरूर होगी. 

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