Naxals in Chhattisgarh: एक कहावत है- तू डाल-डाल मैं पात-पात...नक्सलवाद से बुरी तरह प्रभावित बस्तर (Bastar) में कुछ ऐसा ही हो रहा है. दरअसल काफी वक्त से सुरक्षाबल (security forces) नक्सलियों से निपटने के अभियान में ड्रोन (drones) का इस्तेमाल करते रहे हैं लेकिन अब नक्सली भी ड्रोन का इस्तेमाल (Maoists also use drones) सुरक्षाबलों के खिलाफ करने लगे हैं. वे ड्रोन के जरिए सुरक्षाबलों के मूवमेंट पर नजर रख रहे हैं और उसके अनुसार अपनी रणनीति बना रहे हैं. इतना ही नहीं सुरक्षाबल जहां बस्तर के अंदरुनी इलाकों (interior areas of Bastar) में अपने कैंप खोल कर माओवादियों के आधार क्षेत्र को सीमित करने का दावा कर रहे हैं वहीं नक्सलियों का दावा है कि उन्होंने अपने खेमे में सैकड़ों नए जवानों की भर्ती कर ली है. परेशानी ये है कि नक्सलियों को निशाना बनाने के लिए सुरक्षाबलों के पास जो यूबीजीएल (अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर) रहता है वो अब नक्सलियों के पास भी बीजीएल मौजूद है. आपको बता दें कि यूबीजीएल की मारक क्षमता इतनी जबरदस्त है कि यह हेलिकॉप्टर तक को निशाना बना सकता है.
दरअसल बस्तर का जिक्र आते ही हमारे जेहन में जो सबसे पहली तस्वीर उभर कर सामने आती है वह है नक्सलवाद.सुरक्षाबल दावा कर रहे हैं कि अब वे नक्सलियों से अंतिम लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन NDTV ने जब जमीनी हालात का जायजा लिया तो ऐसा लगा कि दिल्ली अभी दूर है. यह सही है कि पहले के मुकाबले सुरक्षबालों की पकड़ मजबूत हुई है वे अब उन इलाकों में भी कैंप कर रहे हैं जहां पहले नक्सलियों का एकक्षत्र राज चलता था. माओवादियों का आधार क्षेत्र सिकुड़ रहा है लेकिन ये कहना गलत होगा कि बस्तर में माओवाद अंतिम सांसें गिन रहा है. चलिए अपनी रिपोर्ट में कुछ कड़वी सच्चाई से रू-ब-रू कराते हैं.
बढ़ रहा है नक्सलियों का कुनबा
सूत्रों पर भरोसा करें तो कोरोना के समय बस्तर में लगभग दस हजार बच्चे पढाई से दूर हो गए थे. नक्सलियों ने इसका फायदा उठाते हुए इनमें से करीब 10 फीसदी बच्चों को अपने संगठन से जोड़ लिया. मतलब उनका कुनबा छोटा होने की बजाय बढ़ा है. दूसरा खतरा यूबीजीएल को लेकर पैदा हुआ है. यूबीजीएल बड़ा ही घातक हथियार माना जाता है. सुरक्षाबल इसकी सहायता से नक्सलियों को भारी नुकसान पहुंचा रहे थे लेकिन नक्सलियों ने हूबहू नक़ल करते हुए अपने बीजीएल का निर्माण कर चुके हैं. गनीमत ये है कि अब तक इससे सुरक्षाबलों को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है लेकिन ये कभी भी डेंजर साबित हो सकता है.
10 से अधिक ड्रोन हैं नक्सलियों के पास: सूत्र
तीसरा खतरा माओवादियों द्वारा ड्रोन का इस्तेमाल करना है. दरअसल इस इलाके का बड़ा हिस्सा जंगल से घिरा है. यहां जवान सर्चिंग पर रवाना होते हैं तो पहले मानवरहित ड्रोन की मदद लेते हैं. जिससे कई बार नक्सलियों के मूवमेंट और ठिकानों का पता लगता है. लेकिन माओवादी भी ड्रोन का इस्तेमाल करने लगे हैं.
गिरफ्तार किये गए तीनों संदिग्धों का संबंध माओवादी पार्टी से बताया गया जो पामेड़ एरिया में सक्रिय टीम के लिए सामान पहुँचाने का काम करते थे. इन आरोपियों ने ही नक्सलियों द्वारा जवानों की रेकी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. खुद बस्तर इलाके के आईजी सुंदरराज पी ने भी इस आशंका से इनकार नहीं किया है. सूत्रों का दावा है कि फिलहाल नक्सलियों के पास 10 से अधिक ड्रोन हैं.
ड्रोन चलाने का नक्सलियों ने लिया है प्रशिक्षण
माओवादियों द्वारा लगातार अपने लड़ाकों को अपडेट करने के लिए प्रशिक्षण शिविर चलाया जाता रहा है. कई पूर्व माओवादी नेताओं ने भी खुलासा किया है कि संगठन अपने सदस्यों को प्रशिक्षण के लिए देश के अलग अलग क्षेत्रों के अलावा विदेशों में भी ट्रेनिंग के लिए भेजता रहता है. समपर्ण कर चुके एक बड़े नक्सली नेता की मानें तो संगठन ने हाल ही में अपने एक सक्रिय सदस्य को राज्य की राजधानी रायपुर में जाकर ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण दिलवाया था. जिसने बस्तर लौटकर संगठन के कई सदस्यों को इसकी ट्रेनिंग दी. बस्तर इलाके में खुफिया एजेंसियों ने भी तस्दीक की है कि नक्सली ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं.
ड्रोन से क्या हो सकता है खतरा ?
ड्रोन देखने में बहुत छोटा उपकरण है लेकिन अलग-अलग स्थानों पर ये बेहद खतरनाक साबित हो सकता है.
वे इसकी सहायता से जवानों को आसानी से एंबुस में फंसाकर बड़ी आसानी से बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं. ड्रोन की सहायता से रेकी कर वे जवानों की संख्या और उनकी स्थिति की जानकारी ले सकते हैं. ऐसा अंदेशा है कि साल 2019 में हुए हमले में भी नक्सलियों ने ड्रोन का इस्तेमाल किया था.
बस्तर आईजी ने कहा- हमारे जवान बेहद सतर्क हैं
सुंदरराज पी
माओवादियों द्वारा ड्रोन का उपयोग किये जाने के मुद्दे पर बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि. बस्तर में जवान नक्सल मोर्चे पर काफी सतर्क होकर काम कर रहे हैं पर ड्रोन को लेकर अब पहले से और भी ज्यादा सतर्क हो गए हैं. माओवादियों तक ड्रोन पहुंचने के सवाल पर बस्तर आईजी ने कहा कि उनतक सामान पहुंचाने वाले सप्लाई चैन को बहुत हद तक कमजोर कर दिया गया है. हालांकि कई ऑनलाइन वेबसाइट की मदद से ड्रोन आसानी से ख़रीदा जा सकता है. जिस पर नजर रखी जा रही है. इसके अलावा तकनीक की मदद से बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों में निगरानी तेज की गई है जिससे यदि माओवादी ड्रोन का उपयोग करते हैं तो उन्हें डिटेक्ट किया जा सके.जाहिर है बस्तर में हालात उतने अच्छे नहीं है जितने की बताए जा रहे हैं. सुरक्षाबलों की कोशिशें असर तो दिखा रही हैं लेकिन नक्सल फ्री बस्तर अभी दूर की कौड़ी है.