MP News In Hindi : मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक नाश्ता सेंटर को आधा दर्जन मूक बधिर संचालित कर रहे हैं. समोसा, कचौड़ी, बेड़ई बनाने से लेकर उसे बेचने का पूरा काम मूक बधिर युवा ही करते हैं. स्वाद की वजह से लश्कर इलाके के जनकगंज में इस नाश्ते के ठेले के पास अक्सर भीड़ देखी जा सकती है. यहां भी अन्य नाश्ता ठेलों की तरह ही नाश्ता में कचौरी, समोसा, बेड़ाई ,पकौड़ी आदि मिलता है. इस नाश्ता सेंटर के ठेले में लिखा है, गूंगा बेहरा नाश्ता सेंटर. इसी नाम से ये लोगों के बीच मशहूर है. खास बात ये है कि नाश्ता सेंटर का ये आइडिया एक भाई ने अपने मूक बधिर भाई को आत्मनिर्भर बनाने के लिए निकाला था.अब ये स्टार्टअप तारीफ लूट रहा है.
इसारों से ही करते हैं कारोबार
दरअसल, इस ठेले को कोई सामान्य लोग संचालित नहीं करते बल्कि वे लोग चलाते हैं, जो न बोल सकते हैं, और न सुन सकते हैं. लेकिन अपने मूक बधिर होने के कारण इन युवाओं ने इसे अपनी लाचारी न बनाकर अपनी ताकत बना ली और ये वर्षों से इशारों से ही अपना कारोबार कर अपनी दिव्यांगता को चुनौती दे रहे हैं.
15 साल पहले इस वजह से आया था ये आइडिया
इसके संचालन का आइडिया सोनू वर्मा नामक युवक को 15 साल पहले आया. असल में सोनू का छोटा भाई नवीन वर्मा जन्म से ही मूक बधिर था. लोग उसे अजीब दया की नजरों से देखते थे, इसलिए उन्होंने उसे अपने पांव पर खड़े करने की सोची. उसे साइन लेंग्वेज पढ़वाई और फिर तय किया कि ऐसे ही कुछ और युवाओं को इकट्ठा कर उन्हें रोजगार दें. उसने तीन चार और मूक बधिर युवा जोड़कर यह नाश्ता सेंटर शुरू किया.
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लोगों को प्रेरित कर रहा स्टार्टअप
15 सालों से ये हमारे साथ काम कर रहे हैं. अब तो इतने एक्सपर्ट हो गए है कि हम ठेला इन्हें सौंपकर बाज़ार, शादी या अन्य कामों पर भी चले जाते हैं. वाट्सएप कॉल पर हम लोग संपर्क करते रहते हैं. यह लोग, मेहनती, ईमानदार और काफी सौम्य व्यवहार के हैं. इसलिए ग्राहकों से इनकी दोस्ती भी हो गई है. अनेक लोग नियमित नाश्ता करने आते हैं. उनसे इशारों में बातचीत करके समान देते हैं, सर्विस देते हैं और पैसे भी लेते हैं. यहां आने वाले ग्राहकों का कहना है कि हम लोग वर्षों से इनके यहां नाश्ता करने आ रहे हैं. इनका मूक बधिर होना हम लोगों के बीच अब कोई बाधा नहीं बनता है.
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